के.के. मित्तल, वीपी, वीनस इंडिया एसेट फाइनेंस
निजी क्षेत्र के निवेश में वृद्धि, नीतिगत सुधार, राष्ट्र निर्माण में राजनीतिक दलों की रचनात्मक हिस्सेदारी और जीएसटी, ये सभी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले कारक होंगे।
ग्रामीण और शहरी माँग और कॉर्पोरेट लाभ में बढ़ोतरी की संभावना है। विदेशी निवेश का प्रवाह सकारात्मक रहेगा। संसद में अवरोध से महत्वपूर्ण विधेयकों के पारित होने में अड़चन, बैंकों पर एनपीए का बोझ, खुदरा महँगाई 6% के पार जाने का खतरा, पश्चिम एशिया में आतंकवाद और भू-राजनीतिक खतरों में वृद्धि चीन में मंदी आदि इस वर्ष की सबसे बड़ी चिंताएँ हैं। (शेयर मंथन, 08 जनवरी 2016)