इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) का अनुमान 7.4% से घटा कर 7.2% कर दिया है।
इंडिया रेटिंग्स ने इसके लिए दो मुख्य बाधाओं को जिम्मेदार बताया है – एक तो वैश्विक स्तर पर बढ़ते कच्चे तेल के दाम, और दूसरे सभी खरीफ फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ा कर उत्पादन लागत का 1.5 गुना करने का सरकारी फैसला। इंडिया रेटिंग्स का मानना है आगे आने वाली अन्य बाधाओं में बढ़ता व्यापार संरक्षणवाद, रुपये का गिरता मूल्य और बैंकिंग क्षेत्र की गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) की समस्या समाप्त होने का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिलना भी शामिल हैं।
इंडिया रेटिंग्स का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में निजी अंतिम खपत व्यय (कंजम्पशन एक्सपेंडिचर) की वृद्धि दर 7.6% रहेगी, जो पिछले कारोबारी साल 2017-18 में 6.6% रही थी। नोटबंदी के घटते प्रभाव, लगातार दो अनुकूल मॉनसून से ग्रामीण खपत में वृद्धि और कई वस्तुओं पर जीएसटी दर में कटौती से विकास को समर्थन मिल रहा है।
हालाँकि सकल स्थायी पूँजी निर्माण (ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन) के रूप में मापे गये निवेश व्यय में पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले अधिक सुधार की संभावना नहीं है। यह चालू कारोबारी साल में 8.0% की वृद्धि दर से बढ़ने की आशा है। इंडिया रेटिंग्स का मानना है कि अकेले सरकारी पूँजीगत खर्च बढ़ने से पूँजीगत व्यय चक्र में तेजी नहीं आयेगी, क्योंकि वित्त वर्ष 2011-12 से 2016-17 के दौरान अर्थव्यवस्था के कुल पूँजीगत व्यय में सरकारी व्यय का हिस्सा केवल 11.1% रहा है।
(शेयर मंथन, 17 अगस्त 2018)