कपास वायदा (अप्रैल) की कीमतों को 1,080 रुपये के नजदीक सहारा रहने की संभावना है और कीमतों में 1,115 रुपये तक बढ़त दर्ज की जा सकती है।
मिलों की ओर से माँग और फसल नुकसान की चिंता के कारण दक्षिण और मध्य भारत के प्रमुख बाजारों में कपास की कीमतों में तेजी के रुझान के साथ स्थिरता है। महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश के कारण फसल की आवक में 15 दिनों की देरी होने की संभावना हैं। राज्य में 43 लाख हेक्टेयर में से कुल 19 लाख हेक्टेयर की फसल के नुकसान होने की खबर है। इस बीच आयातित कपास की कीमतें 38,000 रुपये प्रति कैंडी है, जबकि घरेलू कपास की कीमतें 42,500 रुपये प्रति कैंडी हो गयी है। नुकसान हुई फसल में नमी की मात्रा काफी अधिक है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार डॉलर के मजबूत होने के कारण आईसीई में कॉटन की कीमतों पर दबाव पड़ा है। निवेशक अमेरिकी कृषि विभाग द्वारा विश्व कृषि आपूर्ति और माँग अनुमान के आँकड़ों का इंतजार कर रहे हैं।
चना वायदा (नवंबर) की कीमतों को 4,555 रुपये के स्तर पर बाधा रहने की संभावना है और मिलों की ओर से सुस्त माँग के साथ बेसन की कम बिक्री के कारण कीमतों में गिरावट हो सकती है।
मेंथा तेल वायदा (नवंबर) की कीमतों में 1,235 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ 1,255 रुपये तक बढ़त दर्ज की जा सकती है। जाड़े के दिनों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के लिए फार्मा कंपनियों की ओर से खरीदारी के कारण निचले स्तर पर खरीदारी और पिछले चार हफ्ते से एमसीएक्स से मान्यता प्राप्त गोदामों में मेंथा तेल के कम होते स्टॉक के कारण कीमतों को मदद मिल सकती है। (शेयर मंथन, 05 नवंबर 2019)
चना वायदा (नवंबर) की कीमतों को 4,555 रुपये के स्तर पर बाधा रहने की संभावना है और मिलों की ओर से सुस्त माँग के साथ बेसन की कम बिक्री के कारण कीमतों में गिरावट हो सकती है।
मेंथा तेल वायदा (नवंबर) की कीमतों में 1,235 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ 1,255 रुपये तक बढ़त दर्ज की जा सकती है। जाड़े के दिनों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के लिए फार्मा कंपनियों की ओर से खरीदारी के कारण निचले स्तर पर खरीदारी और पिछले चार हफ्ते से एमसीएक्स से मान्यता प्राप्त गोदामों में मेंथा तेल के कम होते स्टॉक के कारण कीमतों को मदद मिल सकती है। (शेयर मंथन, 05 नवंबर 2019)
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