सोयाबीन वायदा (अगस्त) की कीमतों को 3,700 रुपये के स्तर पर सहारा रहने की संभावना है जबकि कीमतों की बढ़त पर 3,900 रुपये के नजदीक रोक लग सकती है।
वर्तमान परिदृश्य में, प्रमुख उत्पादन क्षेत्र मध्य प्रदेश में यदि मानसून अगले एक हफ्ते तक या उससे आगे ऐसे ही कमजोर बना रहता है तो किसान सोयाबीन की फसल होने वाले नुकसान को देख रहे हैं। नतीजा यह हो रहा है कि खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं और फसल को नुकसान पहुँचाना शुरू कर दिया है। कई क्षेत्रों में सोयाबीन के पौधे पीले पड़ने लगे हैं और पौधें की वृद्धि प्रभावित हुई है। अमेरिकी सोयाबीन वायदा में तेजी देखी जा रही है क्योंकि चीन पूरी तरह से अमेरिकी सोयाबीन बाजार के निर्यातकों के पास लौट आया है और उम्मीद है कि आगामी शिपिंग सीजन पिछले तीन वर्षों में सबसे बेहतर सीजन होगा।
सरसों वायदा (अगस्त) की कीमतों के 4,805 रुपये के पिछले उच्च स्तर को पार करने और 4,900 रुपये के स्तर तक पहुँचने की संभावना है जबकि कीमतों को 4,730 रुपये के पास सहारा मिल रहा है। पेराई के लिए स्थिर माँग और इस सर्दी में उपजने वाली तिलहनों की कम उपलब्धता के कारण कीमतों को मदद मिल रही है। अगर हम करीब से नजर डालें तो सोया तेल (अगस्त) और सीपीओ (अगस्त) की कीमतों के बीच का अंतर मई के -186 रुपये से कम होकर वर्तमान में माइनस 120 रुपये हो गया है। आने वाले दिनों में यह अंतर माइनस 100 रुपये तक कम होने की उम्मीद है। इससे पता चलता है कि सोया तेल की कीमतों की तुलना में पॉम ऑयल की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। यहाँ, हम सीपीओ खरीदने और सोया तेल बेचने की रणनीति अपना सकते हैं। फंडामेंटल से पता चलता है कि सोयाबीन तेल पर आपूर्ति का दबाव बढ़ सकता है क्योंकि जुलाई में कच्चे सोया तेल के अधिक आयात की उम्मीदें हैं। दूसरी ओर, इंडोनेशिया और मलेशिया ला-नीना मौसम पैटर्न के कारण मौसम के सामान्य से अण्कि नम रहने से पॅाम ऑयल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। (शेयर मंथन, 27 जुलाई 2020)
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