कॉटन वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में 17,300 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है।
बढ़ती आवक और मिलों की ओर से कमजोर माँग के कारण उत्तर भारत में कपास की कीमतों में गिरावट हो रही है। मौसम की स्थिति सुधरने के साथ ही हरियाणा ने नयी कपास की लगभग 500 बेल की दैनिक आवक की तुलना में बढ़कर 600 बेल हो गयी है। विशेषज्ञों के मुताबिक, बड़े स्तर पर कपास उत्पादन के अनुमान के कारण कीमतों में बढ़ोतरी सीमित है। कमजोर डॉलर और इस हफ्ते अमेरिकी माँग और आपूर्ति के आँकड़ों से पहले आईसीई कॉटन वायदा की कीमतों में कल लगभग तीन सप्ताह के निचले स्तर से बढ़त दर्ज की गयी।
चना वायदा (अक्टूबर) की कीमतें 4,800-4,900 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। प्रमुख हाजिर बाजारों में ग्वाकलटी के हिसाब से चना की कीमतों में मिला-जुला रुझान रहा है। इसके अलावा, खपत केंद्रों में चना दाल और बेसन की माँग कमजोर रही है। नेफेड अधिक कीमतों पर अपने स्टॉक को बेचने में सफल रहा है और कम दरों की बोलियों को खारिज कर दिया है। मुंबई में, तंजानिया मूल के चना की कीमत 50 रुपये कम होकर 5,000 रुपये प्रति 100 किलोग्राम थी।
ग्वारसीड वायदा (अक्टूबर) की कीमतें 3,950-3,980 रुपये तक बढ़त दर्ज कर सकती है जबकि ग्वारगम वायदा (अक्टूबर) की कीमतें 5,980-6,080 रुपये के दायरे में सीमित कारोबार कर सकती है। हाजिर बाजारों में, ग्वारगम कॉम्प्लेक्स की कीमतों में उछाल दर्ज की गयी है क्योंकि कम कीमत पर कम बिक्री हुई।
ग्वारगम की कीमतें 100 रुपये प्रति क्विंटल जबकि ग्वारसीड 50 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी के साथ बिकी। जोधपुर में ग्वारगम 75 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी के साथ 6,125 रुपये प्रति क्विंटल और हिसार में 100 रुपये की बढ़ोतरी के साथ 6,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बिकी। इसी तरह जोधपुर में ग्वारसीड की कीमतें 50 रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर 3,775 रुपये प्रति क्विंटल हो गयी है। स्टॉकिस्ट कम कीमतों पर ग्वार सीड बेचने के इच्छुक नहीं थे। वे उम्मीद करते हैं कि कीमतें कम होने के कारण जल्द ही बढ़ेगी इसलिए वे कम कीमत पर बेचने को तैयार नहीं थे। (शेयर मंथन, 10 सितंबर 2020)
Add comment