कॉटन वायदा (अप्रैल) की कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 21,250-21,550 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
इस्लामाबाद द्वारा भारतीय आयात पर दो साल के प्रतिबंध को हटाने के प्रस्ताव को खारिज किये जाने के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को लेकर सेंटीमेंट में खटास बढ़ी है।
ग्वारसीड वायदा (अप्रैल) की कीमतों में मंदी का रुझान जारी सकता है और कीमतों को 3,990 रुपये के स्तर पर बाधा रह सकता है। इसी तरह, ग्वारगम वायदा (अप्रैल) की कीमतों की बढ़त पर 6,125-6,200 रुपये के नजदीक रोक लग सकती हैं। यह बताया गया है कि ग्वारगम मिलों को नयी खरीद में ज्यादा दिलचस्पी नहीं हो रही है क्योंकि निर्यात माँग नहीं बढ़ रही है। ग्वारगम, कोरमा और चूरी की मौजूदा कीमतें मिलों के लिए लाभदायक नहीं है, इसलिए कई मिलें पहले ही उत्पादन रोक चुके हैं। सस्ते पशु आहारों की मिलावट के कारण ग्वारगम की माँग में कमी है। इसलिए, हाजिर बाजार से आने वाले संकेतों से पता चलता है कि इन काउंटरों को वर्तमान परिदृश्य में समर्थन मिलने की संभावना नहीं है। दूसरी बात यह है कि कल कच्चे तेल की कीमतें 4% से अधिक गिर गयी, क्योंकि सऊदी के नेतृत्व वाले संगठन ओपेक और रूस द्वारा संचालित 10 अन्य तेल उत्पादक देशों ने गुरुवार को कहा कि वे मई और जून में प्रति दिन अतिरिक्त 3,50,000 बैरल तेल का और जुलाई में 4,00,000 बैरल प्रति दिन तेल का उत्पादन करेंगे।
चना वायदा (अप्रैल) की कीमतों के 5250-5,300 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है। सेंटीमेंट काफी सकारात्मक हैं क्योंकि सरकार ने कुछ प्रमुख उत्पादक राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चना की खरीद शुरू कर दी है। चना के सबसे बड़े उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश ने पिछले सप्ताह से खरीद अभियान शुरू किया है। राज्य में लगभग 1.45 मिलियन टन चना खरीदा जायेगा। राजस्थान में कल से चने की खरीद शुरू होगी। (शेयर मंथन, 06 अप्रैल 2021)
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