इंडिया रेटिंग ऐंड रिसर्च (India Ratings and Research) ने वित्त वर्ष 2015-16 के लिए घरेलू बाजार में सोने (Gold) की कीमतों पर नकारात्मक नजरिया बरकरार रखा है।
एजेंसी का मानना है कि सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव ब्याज दरों के संदर्भ में अमेरिकी फैसले पर व्यापक रूप से निर्भर करेगा। अगर अमेरिका ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला करता है तो सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतें गिर कर 900 डॉलर प्रति औंस से 1050 डॉलर प्रति औंस के दायरे में आ सकती हैं। इसी तरह सोने की घरेलू कीमत भी 27,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के मौजूदा स्तर से गिर कर 20,500 रुपये से 24,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के दायरे में आ सकती है। रेटिंग एजेंसी को ब्याज दरों में बड़ी वृद्धि की उम्मीद है जिससे सर्राफा कीमतों में 10% से 25% तक की गिरावट आ सकती है।
हालाँकि जापान और यूरोपीय संघ जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं द्वारा उनकी गैरपरंपरागत मौद्रिक नीति पर कायम रहने की तरह अगर अमेरिका भी ब्याज दर में वृद्धि को टालना जारी रखता है तो सोने की कीमतें 1,300 डॉलर प्रति औंस से 1,350 डॉलर प्रति औंस के दायरे तक बढ़ सकती हैं। नतीजतन, घरेलू कीमतें भी मौजूदा स्तर से बढ़ कर 29,500 रुपये प्रति 10 ग्राम से 30,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के दायरे में पहुँच सकती हैं।
अमेरिकी ब्याज दर में वृद्धि न होने के बावजूद अगर अमेरिकी डॉलर को छोड़ कर अन्य वैश्विक मुद्राएँ आर्थिक चिंताओं के चलते कमजोर होती हैं तो सर्राफा कीमतों और साथ ही साथ अमेरिकी डॉलर में मजबूती का एक संक्षिप्त दौर देखा जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय विकास के संदर्भ में अनिश्चितता के बादल छँटने तक अंतरराष्ट्रीय कीमतें 900 डॉलर प्रति औंस के स्तर से नीचे गिरने की संभावना अत्यंत क्षीण है। सितंबर, 2011 में 1,922 डॉलर प्रति औंस के स्तर तक बढ़ने के बाद वित्त वर्ष 20145-15 के आखिर में सोने की कीमतों में 38% का सुधार हुआ है। अगले 12 से 18 महीनों में सोने की अंतरराष्ट्रीय माँग एक अंकीय विकास दर के निम्न स्तर पर रहने की संभावना है। (शेयर मंथन, 06 जून 2015)
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