फेड द्वारा मुद्रास्फीति के जोखिमों से मुकाबला करने के लिए मार्च में ब्याज दर में वृद्धि के संकेत के बाद पिछले सप्ताह 1-1 प्रति 2-महीने के निचले स्तर पर खिसकने के बाद से सोने की कीमतें कमोबेश 1,800 डॉलर प्रति औसतन के स्तर पर स्थिर हो गयी हैं।
पिछले सप्ताह सोने में लगभग 0.8% की वृद्धि हुई है क्योंकि डॉलर में गिरावट के कारण सर्राफा की माँग में बढ़ोतरी हुई। बेंचमार्क 10-वर्षीय नोट यील्ड 1.838% तक उछल गया, जो बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा दरों में वृद्धि के बाद लगभग एक सप्ताह में सबसे अधिक है, जिसने अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा इसी तरह के कदमों की ओर निवेशकों की उम्मीदों को बढ़ावा दिया। फेड-प्रभावित बहुत सी संपत्तियों में उछाल के बावजूद, जो फेड के आक्रामक रुख और डॉलर के कमजोर होने के कारण कमजोर हुई, सोने की कीमतें तेजी दर्ज करने करने में सक्षम नहीं रही है, जो इसकी अहम कमजोरी की ओर इंगित करता है। सोने को एक बार फिर इस तथ्य से झटका लग रहा है कि केंद्रीय बैंक धीरे-धीरे इस विचार के इर्द-गिर्द आ रहे हैं कि मुद्रास्फीति को नियंत्राण में रखने के लिए सख्त होना जरूरी है। यह स्पष्ट है कि केंद्रीय बैंक यह स्वीकार कर रहे है कि मुद्रास्फीति की समस्या को कम करके आंका गया है और बाजार में कीमतों में कई गुना बढ़ोतरी हो रही हैं। सोना अमेरिका की बढ़ती ब्याज दरों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, क्योंकि इससे गैर-यील्ड वाले बुलियन रखने की अवसर लागत बढ़ जाती है।
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण पर बनी चिंताओं से भी सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की माँग बरकरार है। निरंतर आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों, कमोडिटीज की अधिक कीमतों, या मजदूरी में निरंतर बढ़ोतरी के दबाव के कारण मुद्रास्फीति में लगातार बढ़ोतरी के संकेत के कारण भी इस वर्ष सोने की कीमतों में अस्थिरता रह सकती है। इस सप्ताह में कीमतों में दोनों पक्षों में उतार-चढ़ाव देखने की संभावना है जहाँ इसे 46,500 रुपये के पास सहारा और 48,900 रुपये के पास अड़चन हो सकता है। दूसरी ओर चांदी की कीमतें 58,000-63,000 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। (शेयर मंथन, 07 फरवरी 2022)
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