2020 के मध्य में महामारी के कारण उछाल के बाद से सोने की कीमतों में सबसे अधिक तिमाही बढ़त दर्ज की गयी, क्योंकि उपभोक्ता कीमतों में बढ़ोतरी और यूक्रेन संकट के कारण सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की माँग में बढ़ोतरी हुई।
भू-राजनीतिक तनाव अब एक महीने से बना हुआ है और मुद्रास्फीति के आँकड़ों में वृद्धि जारी है। इसलिए इस बाजार में अभी कुल सेंटीमेंट यह है कि लोगों को सुरक्षा की तलाश में है। राजनीतिक और वित्तीय अनिश्चितता के समय में सोने को एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। आँकड़ों से पता चलता है कि अमेरिकी उपभोक्ता खर्च फरवरी में काफी धीमा हो गया, क्योंकि कीमतों का दबाव बढ़ता रहा, और 1980 के दशक की शुरुआत के बाद से मुद्रास्फीति में सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि हुई। 24 फरवरी को शुरू हुए रूस के आक्रमण के कारण तेल और औद्योगिक धातुओं की कीमतों को मदद मिली है। फेडरल रिजर्व ने इस साल बढ़ती मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए आक्रामक दरों में बढ़ोतरी का संकेत दिया है, जिससे निवेशकों को डर है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था धीमेपन का शिकार हो सकती है। गुरुवार को बेंचमार्क अमेरिकी 10-वर्षीय ट्रेजरी यील्ड में गिरावट से भी सोने की कीमतों मदद मिली। अमेरिकी डॉलर 0.6% गिरकर लगभग दो सप्ताह के निचले स्तर पर आ गया, जिससे अन्य मुद्रा धारकों के लिए सोना सस्ता हो गया। यूक्रेन और रूस के बीच मौजूदा स्थिति, शांति वार्ता के बाद अब फिर से बिगड़ती जा रही है और सोने की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए यह अभी भी अहम कारक बना हुआ है। वर्तमान में, सोने की कीमतें 1,950 डॉलर प्रति औसतन से नीचे अहम बाधा का सामना कर रही हैं। टेक्निकल स्तर पर कोमेक्स पर सोने की कीमतों को 1960 डॉलर के पास बाधा का सामना करना पड़ सकता है और जब तक कीमतें इस स्तर से नीचे बनी रहती हैं जो हर बढ़ोतरी के बाद बिकवाली की जा सकती है।
एमसीएक्स पर सोने की कीमतें 50,100-53,500 रुपये के व्यापक दायरे में कारोबार कर सकती है। चांदी की कीमतें 65,000-69,000 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। (शेयर मंथन, 04 अप्रैल 2022)
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