अंतरराष्ट्रीय निवेश फर्म गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) ने इस शुक्रवार को कच्चे तेल (Crude Oil) पर जारी अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि अत्यधिक आपूर्ति के कारण कच्चे तेल की कीमतें आने वाले दिनों में कमजोर बनी रहेंगी।
इसने संभावना जतायी है कि इस कच्चे तेल की कीमत 20 डॉलर तक भी फिसल सकती है, हालाँकि ऐसा कब तक होगा इसके बारे में रिपोर्ट में कुछ नहीं कहा गया है। मगर गोल्डमैन ने साल 2016 के लिए वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) कच्चे तेल के लक्ष्य भाव को मई 2015 में बताये गये 57 डॉलर प्रति बैरल की तुलना में तीखे ढंग से घटाते हुए 45 डॉलर कर दिया है। पिछले महीने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 40 डॉलर के भी नीचे चली गयी थी। साथ ही ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) के लिए इसने लक्ष्य भाव 62 डॉलर से घटा कर 49.50 डॉलर कर दिया है।
गोल्डमैन की इस रिपोर्ट का तात्कालिक असर शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कीमतों में नरमी के रूप में दिखा। हालाँकि इससे एक दिन पहले गुरुवार को अमेरिका में कच्चे तेल के उत्पादन में कमी की खबरों से भाव तेज हुए थे। शुक्रवार को नाइमेक्स में डब्लूटीआई क्रूड का भाव 1.16 डॉलर या 2.5% तक घट कर 44.76 डॉलर पर आ गया।
गोल्डमैन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि तेल के बाजार में आपूर्ति की अधिकता हमारे अनुमानों से भी ज्यादा है। इसने अनुमान जताया है कि अधिक आपूर्ति की स्थिति 2016 में भी बनी रहेगी क्योंकि ओपेक देशों के उत्पादन में वृद्धि होगी और गैर-ओपेक आपूर्ति भी इसी तरह जारी रहेगी, जबकि दूसरी ओर माँग में वृद्धि धीमी हो रही है। चीन की अर्थव्यवस्था में धीमेपन के कारण माँग और कमजोर होने का ही जोखिम है। ओपेक देशों का उत्पादन बीते 15 महीनों से अपने लक्ष्य से ज्यादा रहा है। हाल में इसका उत्पादन साल 2008 से अब तक के सबसे ऊँचे स्तर पर चला गया।
इस बीच पेरिस स्थित इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) ने अपनी ताजा मासिक रिपोर्ट में जिक्र किया है कि सऊदी अरब अपनी बाजार हिस्सेदारी को बचाये रखने की कोशिश कर रहा है, जिसके चलते भावों में नरमी है। हालाँकि आईईए का कहना है कि इसके चलते ऊँची लागत वाले उत्पादकों पर असर पड़ रहा है और अगले साल उत्पादन में लगभग एक चौथाई कमी आ सकती है। आईईए के मुताबिक गैर-ओपेक देशों के तेल उत्पादन में अगले साल के मध्य तक 1992 के बाद से अब तक की सबसे ज्यादा कमी जायेगी। इसने अनुमान जताया है कि साल 2016 में गैर-ओपेक देशों का उत्पादन रोजाना पाँच लाख बैरल घट कर 5.77 करोड़ बैरल रह जायेगा। साथ ही अमेरिका में शेल (चट्टानी) तेल का उत्पादन रोजाना 3.85 लाख बैरल घट जायेगा।
दरअसल शेल गैस उत्पादकों की लागत अधिक बैठती है, मगर साल 2013 में 100 डॉलर के आसपास के भावों के चलते उनके लिए उत्पादन व्यावहारिक और लाभप्रद हो गया था। आईईए का कहना है कि दूसरी ओर सस्ते ईंधन के चलते उपभोक्ता खिंच रहे हैं और इस साल तेल की माँग में वृद्धि पाँच वर्षों के ऊपरी स्तर पर जा सकती है। इस तरह संभावित माँग को ले कर गोल्डमैन सैक्स और आईईए की रिपोर्टों में अलग-अलग तस्वीर उभर रही है। (शेयर मंथन, 12 सितंबर 2015)