जब वेतन आयोग की सिफारिशों के चलते मिलने वाला पैसा लोगों के हाथों में आयेगा, तो खपत पर आधारित कहानी रंग लायेगी। ये सिफारिशें अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अच्छी हैं।
वेतन-वृद्धि की मात्रा वेतन के प्रतिशत के रूप में काफी बड़ी है। कोई व्यक्ति चाहेगा कि मैं अगर किराये पर रहता हूँ तो उसके बदले घर की एक किश्त शुरू कर दूँ। इसलिए हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए इसका असर काफी अच्छा है। आवास ऋण के क्षेत्र में तुलनात्मक रूप से स्थिति अच्छी है। बैंकों में डूबे कर्जों (एनपीए) की समस्या है, पर इस क्षेत्र में नहीं है। इसलिए वह क्षेत्र अन्य की तुलना में सुरक्षित है। रियल एस्टेट कंपनियाँ जोखिम भरी हैं, मगर हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को चुनना चाहिए।
छोटी गाड़ी के अलावा लोग बड़ी गाड़ी के विकल्प सोचने लगेंगे। लोग अपने पैसों से ही मोटरसाइकल-स्कूटर खरीद लेंगे। ऑटो क्षेत्र में महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के मासिक बिक्री के आँकड़े अच्छे रहे हैं। केवल महीने दर महीने या साल दर साल के आधार पर ही न देख कर हमें यह भी देखना चाहिए कि संख्या के आधार पर ये आँकड़े डेढ़ साल के सबसे ऊँचे स्तर पर हैं। ऐसा लगता है कि अपने खराब दौर से यह बाहर है और इसमें समस्या कम आयेगी। इसकी ट्रैक्टर बिक्री के आँकड़े भी अच्छे रहेंगे। महिंद्रा में नये-नये मॉडल भी आ रहे हैं। टीवीएस के भी नये मॉडल आ रहे हैं और वह भी अच्छा लगता है।
वेतन आयोग की इन सिफारिशों का असर यह होगा कि लोगों की आकांक्षाओं के पूरा होने में जहाँ कहीं थोड़ी-सी दूरी रह जाती है, वह पूरी हो जायेगी। बहुत सारे लोग बढ़ी हुई राशि से एसआईपी शुरू कर सकते हैं, जिससे म्यूचुअल फंड क्षेत्र के लिए भी फायदा होगा। लोगों की बचत में वृद्धि होगी।
शेयर बाजार पर इन सिफारिशों का तत्काल असर नहीं दिखा है, क्योंकि इस समय बाजार का ध्यान कई और बड़ी चीजों में उलझा है। बाजार अमेरिका में ब्याज दरों में वृद्धि का और यहाँ घरेलू स्तर पर जीएसटी का इंतजार कर रहा है। साथ में इंतजार इस बात का हो रहा है कि चीन की हालत कब सुधरेगी। मुझे नहीं लगता कि चीन संबंधी सवाल का जवाब मिलेगा, लेकिन अमेरिका में ब्याज दर में वृद्धि हो जायेगी। मेरा मानना है कि घबराहट में तभी तक है जब तक दर नहीं बढ़ी है। दर बढ़ जाने के बाद तुरंत जो प्रतिक्रिया आयेगी, वह तो आयेगी, मगर उसके बाद कुछ खास असर नहीं दिखेगा। अगर किसी वजह से इस बार ब्याज दर में वृद्धि नहीं हुई तो वह चिंता का विषय हो जायेगा कि आखिर क्या गड़बड़ी है जिसके चलते ये दरें बढ़ा नहीं पा रहे हैं।
इस समय हम एक वैश्विक धीमेपन के दौर में हैं। अमेरिका के लिए अपनी दरों को बहुत लंबे समय तक बढ़ा पाना मुश्किल होगा। इसलिए एक बार दर में वृद्धि हो जाने के बाद वे ठंडे पड़ जायेंगे कि हमें जो करना था वह हमने कर दिया। उसके बाद दूसरी बार दर में वृद्धि के लिए बहुत लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। फिर भी अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था अच्छी रहे और दूसरी बार दर में वृद्धि होती है तो यह बहुत अच्छी बात होगी। पर वैसा होना अभी मुश्किल है।
हमें लगता है कि आर्थिक धीमापन आना शुरू हो गया है। पिछली तिमाही में उनकी विकास दर 3.9% थी। इस बार सितंबर तिमाही के लिए पहले अनुमान में वह गिर कर 1.5% रह गयी थी। अब जो दूसरा अनुमान आयेगा उसमें विकास दर 2% रह सकती है, फिर भी वह पहले से लगभग आधी ही है। चीन में भी विकास दर कम हो रही है। अमेरिकी डॉलर मजबूत होने के कारण अमेरिका को निर्यात में परेशानी हो रही है। डॉलर में और मजबूती आने से यह तकलीफ बढ़ेगी। इसलिए अमेरिकी अर्थव्यवस्था में धीमापन तो आयेगा ही। भारत के लिए चिंता तब होगी, जब अमेरिका में ब्याज दर बहुत ज्यादा बढ़े। लेकिन वैसा होता दिख नहीं रहा। इसलिए एक बार अमेरिकी ब्याज दर में वृद्धि हो जाने के थोड़े दिन बाद भारतीय बाजार सुधरना शुरू हो जायेगा।
वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से सामान्यतः महँगाई दर बढ़नी चाहिए। मगर अभी आधार प्रभाव (बेस इफेक्ट) के चलते दो-तीन महीने तक महँगाई दर बढ़ने के बाद आधार प्रभाव खत्म हो जायेगा। इसलिए हमें महँगाई दर को लेकर उतनी चिंता नहीं है। इसका मुख्य कारण यही है कि वैश्विक धीमापन अभी चलने वाला है। हमारा सबसे बड़ा बचाव कच्चा तेल कर रहा है। कच्चे तेल का भाव गिर कर आधा हो चुका है। यहाँ से आगे जनवरी में ईरान अपना उत्पादन बढ़ायेगा तो उसके बाद यह वापस 40 डॉलर प्रति बैरल के नीचे जा सकता है। तेल की सबसे ज्यादा खपत करने वाले अमेरिका में मौजूदा भंडार (इन्वेंट्री) 80 साल के उच्च स्तर पर है। वहाँ तेल की प्रति व्यक्ति खपत भी घट रही है। साथ ही वह तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है।
वेतन आयोग की सिफारिशों से सरकारी घाटा बढ़ने की जहाँ तक बात है, हम तो यह मानते हैं कि अगर सरकारी घाटा बढ़ाने से हमारी अर्थव्यवस्था की विकास दर बढ़ती है तो हमें ऐसा करना चाहिए। विनोद कुमार शर्मा, पीसीजी प्रमुख, एचडीएफसी सिक्योरिटीज (Vinod Kumar Sharma, PCG Head, HDFC Securities) (शेयर मंथन, 03 दिसंबर 2015)
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