दिलीप भट्ट
जेएमडी, प्रभुदास लीलाधर
मेरी सलाह है कि निवेशकों को इस बाजार में गिरावट आने पर खरीदारी करनी चाहिए।
अभी वैश्विक और अमेरिकी बाजार से जुड़े पहलू चिंता पैदा कर रहे हैं। साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की ओर से बिकवाली भी हो रही है। अर्थव्यवस्था के वापस सँभलने और पूँजीगत खर्च में सुधार होने को लेकर भी चिंता बनी हुई है। वहीं कच्चे तेल के भाव बढ़ रहे हैं और कंपनियों के आय के अनुमान घटाये जा रहे हैं। दूसरी ओर मॉनसून अच्छा रहा है और इन परिस्थितियों में भी भारत की विकास दर विश्व में सर्वोत्तम बनी हुई है। जीएसटी लागू होने वाला है और कर संग्रह बेहतर हुआ है।
नोटबंदी की वजह से इससे अर्थव्यवस्था को एक झटका लगा है और कंपनियों के आय के अनुमान घटाने की नौबत आयी है। पर इससे कर संग्रह में तेजी आयेगी और भारत एक डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने की ओर आगे बढ़ेगा। हालाँकि फिलहाल तीसरी तिमाही के कारोबारी नतीजों में नकारात्मक वृद्धि दिखेगी।
मेरा अनुमान है कि जून 2017 तक निफ्टी 8,500-8,700 पर होगा, जबकि दिसंबर 2017 तक यह 9,000-9,200 पर पहुँच सकता है। साल 2017 में निफ्टी ऊपर 9,500 पर शिखर बना सकता है, जबकि नीचे इसकी तलहटी 7,600 पर होने की संभावना है। मेरे विचार से सेंसेक्स साल 2020 तक 40,000 पर और साल 2025 तक 50,000 पर पहुँच सकता है। (शेयर मंथन, 05 जनवरी 2017)