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इंडसइंड बैंक नये एमएफआई ग्राहकों को शामिल नहीं करेगा, बीएफआईएल को नये कलेवर में पेश करने की तैयारी

घोटाले, जाँच और इस्तीफे के बीच फंसे इंडसइंड बैंक ने अपने कारोबार से जुड़ा एक बड़ा फैसला किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बैंक ने अपने न्यू माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशन (एमएफआई) पर फिलहाल रोक लगा दी है। अब बैंक एमएफआई के न तो नये लोन बाँटेगा और न ही नये ग्राहकों को जोड़ेगा। बैंक के मुताबिक ये रोक इस साल जनवरी से लगी है।

क्यों लगाई रोक?

दरअसल बैंक ने आरबीआई को रोक लगाने के संबंध में सुझाव दिया था। सुझाव पर बोर्ड की बैठक में चर्चा हुई और जनवरी के अंत में रोक लगाने का फैसला ले लिया गया। इंडसइंड बैंक की माइक्रोफाइनेंस शाखा भारत फाइनेंशियल इन्क्लूजन लिमिटेड (बीएफआईएल) के जरिये लोन देती थी। लेकिन बोर्ड के फैसले के बाद पिछले तीन महीने से ये काम बंद पड़ा है। इससे वित्त वर्ष 2025-26 के पहले 9 महीनों में बैंक की कुल लोन बुक का 9% हिस्सा प्रभावित हुआ है।

क्या है मामला?

बीएफआईएल के अकाउंटिंग में कुछ गड़बड़ियाँ सामने आयी थीं। ये पता चला था कि कैसे बैंक और लोन लेने वालों ने मिलिभगत कर मोटी मलाई खायी है। इसी मामले की जाँच वैश्विक ऑडिट फर्म ईवाई कर रही है। ईवाई अपनी जाँच में ब्याज से आय की गलत तरीके से एंट्री, खर्चों की गलत जानकारी दिखाना, लोन की कीमत तय करने की प्रक्रिया में खामी और पुराने लोन को नये लोन से छुपाने के मामले देख रही है।

इंडसइंड बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 में अब तक 6679 करोड़ रुपये के एमएसआई लोन को एनपीए घोषित किया है। ये वो रकम है जिसे बैंक मान चुका है कि अब उसे मिलेगी नहीं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जाँच के दायरे में पूरा 32,564 करोड़ रुपये का एमएफआई पोर्टफोलियो है। ये भी उम्मीद की जा रही है कि ईवी इस मामले में अपनी जाँच इसी साल जून तक पूरी कर लेगा।

ममला और आरोप नये नहीं

ये पहली बार नहीं है जब बीएफआईएल की लोन बुक पर सवाल उठ रहे हैं। इससे पहले नवंबर 2021 में भी इस तरह की गड़बड़ी का मामला सामने आया था जिसकी जाँच डेलॉइट ने की थी।

बदलेगा नाम, क्या बदलेगा काम?

बीएफआईएल को 'भारत बैंकिंग' ब्रांड के तहत रीब्रांड कर दोपहिया, आवास और गोल्ड लोन के क्षेत्र में फिर से उतरने की योजना बनाई है। बैंक के बोर्ड ने इसकी मंजूरी दे दी है और रेगुलटरी मंजूरी के लिए आरबीआई के पास भी भेज दिया है।

(शेयर मंथन, 25 अप्रैल 2025)

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