
पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दुनिया को आँखें दिखाई और अब चीन तेवर दिखा रहा है। धमका रहा है कि अमेरिका से डील करनी है तो करो लेकिन उसकी वजह से अगर उसका नुकसान हुआ तो अच्छा नहीं होगा। दरअसल अमेरिका चाहता है कि दुनिया के सभी प्रमुख देश चीन नहीं उसके साथ व्यापार करें जिससे उसकी अर्थव्यवस्था बढ़े। लेकिन चीन ऐसा होने नहीं देना चाहता है।
ड्रैगन ने दिखाए तेवर
चीन ने उन सभी देशों को धमकी दी है जो अमेरिका के साथ समझौता या तो कर रहे हैं या फिर करने वाले हैं। उसने कहा है कि चीन को नजरअंदाज कर अमेरिका के साथ समझौता कर उसे खुश करने की कोशिश उन्हें भारी पड़ सकती है। चीन का कहना है कि अमेरिका के साथ ट्रेड डील से उसे और उसकी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो वो उन देशों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा जो अमेरिका के साथ इस काम में शामिल होंगे।
चीन का ये रुख उस मीडिया रिपोर्ट के बाद सामने आया जिसमें दावा किया गया था कि अमेरिका कई देशों पर चीन के साथ व्यापार कम करने के लिए दवाब बनाने की योजना बना रहा है। वो इस पर विचार कर रहा है कि अगर देश चीन के साथ अपने व्यापारिक रिश्ते कम करते हैं तो वो उन्हें टैरिफ में छूट भी दे सकता है।
क्या बोलता है ट्रंप प्रशासन?
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि टैरिफ की दर को कम करने के लिए कई देश उससे बात करने के लिए सामने आ रहे हैं। कई देशों के साथ बातचीत शुरू हो चुकी है जिसमें मैक्सिको, जापान और यूरोपीय यूनियन के कई देश शामिल हैं। हालाँकि चीन के साथ अब भी बातचीत का इंतजार है।
चीन के लिए आफत, बाकी को राहत
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने हाल ही में 90 दिनों के लिए चीन को छोड़कर बाकी देशों के लिए टैरिफ पर रोक लगा दी थी। वहीं, चीन पर 15 अप्रैल को टैरिफ की दर को बढ़ाकर 245% कर दिया है।
किस तारीख को क्या हुआ
- 2 अप्रैल अमेरिका ने चीन पर 34% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया। इससे चीन पर कुल टैरिफ बढ़कर 54% हो गया।
- 4 अप्रैल चीन ने जबाव में अमेरिका पर 34% का टैरिफ लगाया
- 8 अप्रैल ट्रंप ने चीन को टैरिफ वापस लेने के लिए कहा वरना 50% का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी।
- 9 अप्रैल ट्रंप ने चीन पर कुल 125% का टैरिफ लगाया।
- 9 अप्रैल चीन ने भी अमेरिका पर टैरिफ 50% बढ़ाकर कुल 84% कर दिया
- 10 अप्रैल ट्रंप ने चीन पर कुल 145% लगाने की घोषणा की। इसमें 20% का फेंटानिल टैरिफ भी शामिल है।
- 11 अप्रैल चीन ने अमेरिका पर टैरिफ को बढ़ाकर 125% कर दिया
- 15 अप्रैल अमेरिका ने चीन पर कुल 245% टैरिफ लगाया
चीन भी नहीं है खामोश
चीन के वाणिज्य मंत्रालय की ओर से दुनिया के लिए बयान जारी किया गया जिसमें चीन ने खुद को टैरिफ का शिकार और शांति का दूत बताने की कोशिश की। इसमें कहा गया कि तुष्टिकरण न तो शान्ति नहीं ला सकती है और न ही समझौता सम्मान दिला सकता है। दूसरे को नुकसान पहुँचाकर खुद को फायदा दिलाना सही नहीं है। ऐसा करने से दोनों पक्षों को घाटा होता है, हो सकता है कि छोटी अवधि के लिए फायदा हो लेकिन लंबे वक्त तक ऐसा संभव नहीं होगा।
चीन की ओर से कहा गया कि वह इस बात का सम्मान करता है कि दूसरे देश अमेरिका के साथ टैरिफ को कम करने के लिए समझौता कर रहे हैं। इसमें पक्षपात नहीं होना चाहिए। लेकिन ऐसा हो रहा है दिखाई नहीं देता। और अंत में चीन ने वही किया जो अमेरिका कर रहा है। उसने भी धमकी देते हुए कहा कि चीन ऐसे सभी देशों के खिलाफ है जो उसके नाम पर अमेरिका के टैरिफ से बचने की कोशिश कर रहे हैं। वो उन देशों पर जवाबी कार्रवाई करेगा।
ये देश कर रहे अमेरिका से बातचीत
ट्रंप प्रशासन पहले की कह चुका है कि 50 से ज्यादा देश उससे बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रंप का कहना है कि नए टैरिफ से अमेरिका और बाकी दुनिया के बीच भारी व्यापार असंतुलन दूर होगा। वहीं देशों के साथ अमेरिका की बातचीत हो चुकी है जिसमें अमेरिका ने अपनी शर्तें उन देशों के सामने रखी हैं। जैसे जापान अपने समझौते के तहत अमेरिका से सोयाबीन और चावल का आयात बढ़ाने पर विचार कर रहा है। साउथ कोरिया भी अमेरिका से एलएनजी खरीद को बढ़ाने पर विचार कर रहा है। ताइवान ने तो पहले ही टैरिफों पर बात करने के लिए ‘जीरो' टैरिफ की पेशकश कर दी है। साथ ही ताइवान की कई कंपनियाँ अमेरिका में निवेश बढ़ाने की योजना भी बना रही हैं। इंडोनेशिया भी अमेरिका के एग्री प्रोडक्ट के इंपोर्ट बढ़ाने योजना बना रहा है।
(शेयर मंथन, 22 अप्रैल 2025)
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