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आईएमएफ के बाद वर्ल्ड बैंक ने भी 2025-26 में घटाया भारत का जीडीपी वृद्धि का अनुमान

लगता है दुनिया में मंदी आ कर ही रहेगी। दुनिया की तमाम बड़ी एजेंसियाँ यही आशंका जा रही हैं और अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की सनक इसका कारण बनेगी। अभी बाजार ये मान रहा है कि अगर मौजूदा हालात नहीं बदले तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ जायेगी। और अमेरिका में मंदी आयी तो उसका असर पूरी दुनिया पर दिखेगा।

तभी शायद एक समय दुनिया की तमाम एजेंसियाँ जिस देश को सबसे तेजी उभरने वाली अर्थव्यवस्था बता रही थीं, वही आज एक के बाद एक उसकी वृद्धि दर में गिरावट की आशंका जता रही हैं। कारण वही ट्रंप और उनका टैरिफ और वो देश है भारत जिसके मूडीज, आईएमएफ के बाद अब विश्व बैंक ने भी वृद्धि दर में गिरावट की आशंका जताई है।

विश्व बैंक ने घटाया जीडीपी ग्रोथ अनुमान

वर्ल्ड बैंक को भी लगता है कि भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि की रफ्तार धीमी पड़ सकती है। शायद इसलिए उसने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमान को 6.7% से घटाकर 6.3% कर दिया है।

अपने रीजनल आउटलुक में वर्ल्ड बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की ग्रोथ रेट ने काफी निराश किया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अर्थव्यवस्था में निजी निवेश कम रहा और सरकार ने जो भी निवेश किया उससे लक्ष्यों को हासिल नहीं किया जा सका। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की ग्रोथ रेट 6.5% थी। यानी वर्ल्ड बैंक को लगता है कि भारत की ग्रोथ रेट पिछले साल से भी कम रह सकती है।

वर्ल्ड बैंक का मानना है ग्लोबल अर्थव्यवस्था में सुस्ती आयेगी जिसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी दिखाई देगा। वहीं, ट्रंप की नीतियों के कारण एक्सपोर्ट पर भी दबाव देखने को मिल सकता है जिसका नकारात्मक असर भी देश की जीडीपी पर पड़ेगा। बाज़ार की मौजूदा अनिश्चिततायें दक्षिण एशिया के ज्यादा बुरी साबित हो सकती हैं। यहाँ के देशों की अर्थव्यवस्था को ज्यादा प्रभावित कर सकती हैं।

पड़ोसियों की भी गिरेगी अर्थव्यवस्था?

वर्ल्ड बैंक ने सिर्फ भारत की जीडीपी में ही गिरावट की आशंका नहींजताई है, बल्कि उसे दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था में भी गिरावट आने की आशंका जाहिर की है। वर्ल्ड बैंक का कहना है कि वित्त वर्ष 2025-26 में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था 4.9%, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था 3.1%, और श्रीलंका की अर्थव्यवस्था 3.1% की दर से बढ़ेगी।

आईएमएफ ने घटाया भारत का ग्रोथ अनुमान

अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक कोष ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत का जीडीपी विकास दर अनुमान घटा दिया है। उसके मुताबिक इस वित्त वर्ष देश 6.5% नहीं बल्की 6.2% की दर से बढ़ेगा। पहले आईएमएफ ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए जीडीपी 6.5% की दर से बढ़ने की उम्मीद जताई थी।

मूडीज भी घटा चुका है ग्रोथ अनुमान

इससे पहले मूडीज भी भारत का ग्रोथ रेट अनुमान घटा चुका है। इसी महीने जारी अपनी रिपोर्ट में मूडीज ने ग्रोथ अनुमान 6.6% से घटाकर 5.5%-6.5% के बीच कर दिया है। हालाँकि ये अनुमान कैलेंडर वर्ष 2025 यानी जनवरी से दिसंबर के लिए घटाया है। मूडीज ने ट्रंप टैरिफ के चलते ये अनुमान घटाया गया था।

क्या बोला था मूडीज?

अपनी रिपोर्ट में मूडीज ने कहा था कि हीरे, कपड़े और मेडिकल उपकरणों पर ट्रंप टैरिफ लगने से भारत का निर्यात घट सकता है। अगर ऐसा होता है तो इससे भारत का अमेरिका के साथ व्यापार घाटा भी बढ़ेगा। हालाँकि अभी अमेरिका ने 90 दिनों की राहत दी है लेकिन राहत सिर्फ फौरी तौर पर है। एक बार टैरिफ पूरी तरह से लागू हुआ तो एक्सपोर्ट घटेगा जिसका सीधा असर कारोबार पर बिजनेस कॉन्फिडेंस पर पड़ेगा। उसमें गिरावट आयेगी।

क्या बोला आरबीआई?

9 अप्रैल को हई अपनी एमपीसी में आरबीआई ने भी भारत के ग्रोथ में कुछ गिरावट की आशंका जताई थी। उसने भी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान 6.7% से घटाकर 6.5% कर दिया था।

आरबीआई का जीडीपी ग्रोथ अनुमान

तिमाही (वित्त वर्ष 2025-26) नया अनुमान पुराना अनुमान

पहली 6.5% 6.7%

दूसरी 6.7% 7.0%

तीसरी 6.6% 6.5%

चौथी 6.3% 6.5%

भारत की मौजूदा जीडीपी

तिमाही (वित्त वर्ष 2023-24) जीडीपी

पहली 7.8%

दूसरी 6.5%

तीसरी 5.6%

चौथी 6.2%

बीते 5 साल में जीडीपी का हाल

साल जीडीपी
2020 5.8%

2021 9.7%

2022 7.0%

2023 8.2%

2024 6.5%

क्या होती है जीडीपी?

देश की अर्थव्यवस्था कैसी है, वो कितनी रफ्तार से बढ़ रही है, ये जब जानना हो तो कैसे करेंगे? यहाँ पर आती है जीडीपी। ये आपके देश की अर्थव्यव्स्था की सेहत बताती है। ये देश में एक तय समय में बनाये गये सभी वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य दिखाती है। इसमें घरेलू और विदेश कंपनियाँ जो देश में ही विनिर्माण कर रही हैं उसे भी शामिल किया जाता है।

कैसे निकाली जाती है जीडीपी?

जीडीपी की गणना करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है। जीडीपी = सी+जी+आई+एनएक्स। यहाँ पर सी का मतलब है निजी उपभोग, जी का मतलब सरकारी खर्च, आई का मतलब निवेश और शुद्ध निर्यात का मतलब नेट एक्सपोर्ट है।

(शेयर मंथन, 25 अप्रैल 2025)

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