पंकज पांडेय
रिटेल रिसर्च प्रमुख, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज
मेरा आकलन है कि साल 2017 के अंत तक सेंसेक्स 30,200 और निफ्टी 9,150 पर होंगे।
इस साल के दौरान निफ्टी ऊपर 9,560 के नये शिखर तक और नीचे 7,420 तक जा सकता है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूत प्रदर्शन की संभावना और उसके बाद फेडरल रिजर्व की ओर से दरों में होने वाली वृद्धि, कमोडिटी की चाल में उतार-चढ़ाव और वैश्विक स्तर पर अन्य कोई बुरी घटना जैसी बातें मुख्य चिंताओं में शामिल हैं। वहीं घरेलू संस्थागत निवेशकों की ओर से शुद्ध निवेश में बढ़ोतरी, ब्याज दरों में कमी का दौर (जो पूँजी की लागत को और कम करेगा) और बुनियादी ढाँचे एवं सुधारों पर सरकार का अधिक जोर सकारात्मक बातें हैं।
नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था में तेजी की प्रक्रिया में बाधक के तौर पर कार्य किया। नतीजतन, हमने आय के अनुमानों को घटा दिया है और अब आकलन है कि साल 2016-17 की ईपीएस साल-दर-साल 5% की दर से बढ़ेगी। पहले हमने इसमें 16.3% बढ़त का अनुमान व्यक्त किया था। आर्थिक गतिविधियों के तलहटी छूने और स्थिर होने में 3-4 महीने का वक्त लगेगा। हमारा अनुमान है कि सेंसेक्स ईपीएस 2016-17 में 1,444 रुपये और 2017-18 में 1,830 रुपये रहेगी। विकास दर (जीडीपी) कारोबारी साल 2016-17 में 6.4% रहेगी, पर 2017-18 में वापस उछल कर 7.6% हो जाने की उम्मीद है। अतः हमें उम्मीद है कि 2017-18 में ईपीएस साल-दर-साल 26.7% की मजबूत दर से बढ़ सकती है।
मूल्यांकन के नजरिये से सेंसेक्स अभी 2017-18 की अनुमानित ईपीएस के 14.5 गुना पीई पर है, जो महँगा स्तर नहीं है। प्राप्तियों (यील्ड) के लिहाज से भी देखें तो भारतीय शेयर बाजार 7% की आकर्षक प्राप्तियाँ प्रदान कर रहा है, जबकि सरकारी बॉन्डों से 6.5% प्राप्त हो रहा है। यह स्थिति बाजार में गिरावट की संभावना को सीमित करती है। साथ ही पिछले कुछ महीनों के दौरान म्यूचुअल फंडों में आने वाला रिकॉर्ड निवेश एफआईआई की बिकवाली के खिलाफ सहारे के तौर पर काम करेगा। इसके चलते बुरे समय में बाजारों को एक मजबूत आधार मिलेगा। (शेयर मंथन, 05 जनवरी 2017)