राजीव रंजन झा
एलएंडटी के सीएमडी ए एम नाइक ने इस कंपनी पर इनसाइडर ट्रेडिंग का आरोप लगाने का एक और कारण दे दिया है। उन्होंने एलएंडटी के निवेशकों को भरोसा दिलाने की कोशिश में यह दावा कर दिया है कि उनके पास सत्यम के बारे में ऐसी काफी जानकारियाँ हैं जो सबके सामने नहीं हैं, और उन्हीं जानकारियों के आधार पर वे सत्यम में अपना निवेश बढ़ा रहे हैं। जनाब, इनसाइडर ट्रेडिंग और क्या होती है?
श्री नाइक ने हाल में कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय के कई चक्कर लगाये हैं। खुद उन्होंने यह बात कही है कि सत्यम के नये बोर्ड सदस्यों से वे संपर्क में हैं। इन्हीं मुलाकातों और चर्चाओं के आधार पर नाइक ने कल सोमवार को निवेशकों के साथ एक कॉन्फ्रेंस कॉल में दावा किया कि “मेरे पास काफी अधिक सूचनाएँ हैं।“ अगर उन्होंने सत्यम में एलएंडटी की हिस्सेदारी 4% से बढ़ा कर 12% करने का फैसला इन्हीं सूचनाओं के आधार पर किया, जो आम निवेशकों के सामने नहीं हैं, तो यह सीधे तौर पर इनसाइडर ट्रेडिंग है।
कल सुबह ही मैंने जिक्र किया था कि सत्यम के मामले में एलएंडटी जिस तरह मीडिया में आकर अपनी एक रणनीति बताती है और उसके बाद शेयर बाजार में ठीक उसका उल्टा करती है, वह किसी इनसाइडर ट्रेडिंग से कम नहीं है। अगर कोई विश्लेषक मीडिया में कोई एक सलाह दे और खुद बाजार में उसके उल्टे सौदे करता पकड़ा जाये, तो सेबी के शिकंजे में फंसने के पूरे आसार रहेंगे। आप पहले बाजार में एक धारणा बनाने की कोशिश करते हैं, और फिर अपने स्वार्थों के लिए उसका फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। और अब खुद नाइक के बयान ने इनसाइडर ट्रेडिंग का सीधा इकरारनामा रख दिया है। सत्यम मामले में पहले से जाँच कर रही सेबी को यह बात समझने में कितना वक्त लगेगा?
सत्यम नये खरीदार की तलाश में है। जो भी कंपनी सत्यम को खरीदने में दिलचस्पी लेगी, वह इसकी वित्तीय, कानूनी और कारोबारी स्थिति की अच्छी तरह से जाँच-परख करेगी, जिसे कारोबारी भाषा में ड्यू डिलिजेंस कहते हैं। इस प्रक्रिया में सत्यम उसे तमाम ऐसी जानकारियाँ भी उपलब्ध करायेगी, जो आम निवेशकों को उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन अगर इन जानकारियों की बदौलत कोई कंपनी खुले बाजार में सत्यम के शेयरों की खरीद-बिक्री करने लगे, तो यह सीधे तौर पर नियमों का मजाक है और आम निवेशकों के हितों की धज्जियाँ उड़ाने जैसा है। कानून में इसकी सजा लिखी है, और एलएंडटी को इसका अपवाद मानने का कोई कारण नहीं है।