आम बजट 2025-26 को लेकर आम नागरिक समेत देश के हर छोटे-बड़े उद्योग की अपनी-अपनी जरूरतें और अपेक्षायें हैं। इसी कड़ी में ज्यूपिटर वैगन्स के प्रबंध निदेशक विवेक लोहिया ने रेलवे बुनियादी ढाँचा उद्योग के लिए केंद्रीय बजट से अपेक्षायें प्रकट कीं। ज्यूपिटर वैगन्स भारत में रेल डिब्बा, उसके घटकों और कास्टिंग के सबसे बड़े और प्रमुख निर्माताओं में से एक है।
विवेक कहते हैं, ''आम बजट 2025-26 को देखते हुए, रेल मंत्रालय के लिए माल ढुलाई संचालन को मजबूत करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है। हाल ही में शुरू किये गये समर्पित माल ढुलाई गलियारा (डीएफसी) समेत 'सेंट्रल इंडिया टू कोस्ट वाया डीएफसी' के विस्तार में तेजी लाने से तेज, लागत कुशल और विश्वसनीय माल ढुलाई सुनिश्चित होगी। इससे भारतीय उद्योगों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। मालगाड़ियों की औसत गति 50 किलोमीटर प्रति घंटे तक बढ़ाना, 12,000 एचपी के इलेक्ट्रिक इंजनों को लगाना और मालगाड़ियों की लंबाई बढ़ाना माल ढुलाई में तेजी लाने के लिए अहम होगा। खनन, एनटीपीसी, पेट्रोकेमिकल्स, सीमेंट, स्टील, एफसीआई, ड्राई पोर्ट, उर्वरक और कपड़ा जैसे क्षेत्रों के लिए रेलवे भूगोल आकलन पर रणनीतिक ध्यान यह सुनिश्चित करेगा कि माल ढुलाई संचालन भारत की औद्योगिक जरूरतों के अनुरूप हो। साथ ही पूँजीगत व्यय में बुनियादी ढाँचे के आधुनिकीकरण, शहरी रेल परियोजनाओं और वास्तविक समय सूचना तंत्र (आरटीआईएस) जैसी नयी रणनीतियों और यात्री परिचालन से पार्सल यातायात को पृथक करने को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि देरी को कम किया जा सके और व्यापक दक्षता में सुधार हो सके। खराब होने वाली चीजों के लिए समर्पित किसान रेल कृषि आपूर्ति श्रंखलाओं को और ज्यादा सहायता देगी। 'मेक इन इंडिया' पहल के अंतर्गत घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियाँ समान रूप से अहम हैं। पीएलआई योजनाओं का विस्तार कर उनमें रेल पहिये, एक्सलेस (धुरी), उन्नत बोगियाँ और उच्च गति वाले यात्री कोच जैसे घटक शामिल करने के साथ ही निर्यात प्रोत्साहन से रेलवे की वैश्विक मौजूदगी और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा सरकार को निजी-सार्वजनिक सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए और क्षमता विस्तार के लिए वित्तपोषण करना चाहिए, जिससे लंबे समय में विकास को बढ़ावा मिले। कौशल विकास और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिये भारी उपकरण (इंजीनियरिंग) और शोध एवं विकास केंद्रित कंपनियों में प्रतिभा की कमी को पूरा करने से इस क्षेत्र में मजबूती आयेगी। भारतीय रेल जैसे-जैसे शुद्ध शून्य कार्बन स्थिति की तरफ बढ़ रही है, यह बजट आर्थिक विकास और स्थिरता को आगे बढ़ाने में परिवर्तनकारी कदम हो सकता है।''
(शेयर मंथन, 21 जनवरी 2025)
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