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आरबीआई ने 5 साल बाद रेपो रेट 25 आधार अंक घटाकर 6.25% किया

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार (07 फरवरी) को चालू वित्त वर्ष 2024-25 की अंतिम मौद्रिक नीति घोषणा में रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती का ऐलान किया है। आरबीआई ने फरवरी 2023 के बाद से रेपो रेट (अल्प अवधि की उधारी दर) को 6.5% पर स्थिर रखा था। 

आरबीआई के नवनियुक्त गवर्नर संजय मलहोत्रा ने बुधवार से शुरू अपने कार्यकाल की पहली मौद्रिक नीति परिषद (एमपीसी) की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक के बाद उन्होंने बताया कि एमपीसी ने सर्वसम्मति से रेपो दर में 25 आधार अंकों (bps) की कटौती कर 6.25% पर रखने की मंजूरी दी। साथ ही एमपीसी ने सर्वसम्मति से 'तटस्थ' नीति रुख बनाये रखने के लिए मतदान किया। इस कटौती से पर्सनल लोन, ऑटो लोन और होम लोन लेने वालों के लिए राहत की उम्मीद की जा रही है।

रिजर्व बैंक ने बढ़ाया जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान

आर्थिक विकास दर यानी देश की जीडीपी बढ़ने की दर की बात करें तो रिजर्व बैंक ने अगले वित्त-वर्ष के लिए अपने अनुमान में वृद्धि की है। उसने अगले वित्त-वर्ष में विकास दर 6.7% रहने का नया अनुमान सामने रखा है, जबकि उसका पिछला अनुमान 6.6% का था। दरअसल, विकास दर को सहारा देने के लिए ही रिजर्व बैंक से ब्याज दरों में नरमी की काफी उम्मीद की जा रही थी। चालू वित्त-वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक विकास दर 2 साल के निचले स्तर 5.4% पर आ जाने के बाद रिजर्व बैंक पर रेपो दर घटाने का दबाव बना हुआ था।

महँगाई दर 4% से नीचे जाने की आशा 

गवर्नर संजय मलहोत्रा ने आज की नीतिगत घोषणा करते हुए कहा कि देश में महँगाई कम होने लगी है और आगे इसके लगातार कम होने की उम्मीद है। केंद्रीय बैंक के अनुमान के हिसाब से महँगाई दर 2024-25 में 4.8% के मुकाबले अगले वित्त-वर्ष में 4.2% पर आ जायेगी। यह वित्त-वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में 4.5%, दूसरी तिमाही में 4% और तीसरी तिमाही में 3.8% पर आ सकती है। खुदरा महँगाई पिछले साल अक्टूबर महीने में 6% के पार निकल गयी थी। उसके बाद से इसमें लगातार नरमी आ रही है। नवंबर में महँगाई दर 5.48% और दिसंबर में 5.22% पर आ गयी। आरबीआई का मानना है कि नये वित्त-वर्ष में खाद्य महँगाई का दबाव भी नरम होगा। उसके मुताबिक केंद्रीय मुद्रास्फीति (कोर इन्फ्लेशन) में वृद्धि हो सकती है, लेकिन यह मध्यम रहेगी।

मई 2020 में हुई थी रेपो दर में पिछली कटौती

यह मई 2020 के बाद रेपो दर में हुई पहली कटौती और फरवरी 2023 के बाद पहला बदलाव है। रिजर्व बैंक ने कोरोना महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए मई 2020 में रेपो दर को 40 आधार अंक घटा कर 4% के निचले स्तर पर ला दिया था। उसके बाद अगले 2 साल तक रेपो दर 4% पर स्थिर रही। महँगाई बेकाबू होने के बाद मई 2022 में रिजर्व बैंक ने रेपो दर को बढ़ाना शुरू कर दिया था। मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रेपो दर में 250 आधार अंकों की वृद्धि की गयी। इस तरह मुख्य नीतिगत ब्याज दर 6.5% के उच्च स्तर पर पहुँच गयी। फरवरी 2023 से रेपो दर इसी स्तर पर स्थिर थी। इसमें अब जाकर पहली कटौती हुई है।

इससे पहले दिसंबर 2024 में हुई एमपीसी की बैठक में आरबीआई के पूर्व शक्तिकांत दास ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) 0.50% अंक घटा कर 4% किया था। सीआरआर बैंक की कुल जमा राशि का वह भाग होता है, जिसे सभी बैंक आरबीआई के पास आरक्षित रखते हैं। इस अनुपात में कटौती से बैंकों के पास तरलता (लिक्विडिटी) यानी उपलब्ध नकदी में इजाफा होता है। इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने तरलता बढ़ाने के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग प्रणाली में डाले थे।

(शेयर मंथन, 07 फरवरी 2025)

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