
भले ही बाजार की आशाओं को पूरा करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी इस नीतिगत समीक्षा में दरों में कटौती कर दी है, पर उसकी टिप्पणियों और अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को देखते हुए काफी विशेषज्ञों का कहना है कि यह इस समय केवल 1 बार का उपहार हो सकता है।
बाजार विशेषज्ञ अंबरीश बालिगा केवल 1 बार का उपहार होने की संभावना पर ही मुहर लगाते हैं। उनका आकलन है कि डॉलर और रुपये की विनिमय दर (Dollar INR Exchange Rate) के चलते महँगाई दर का नियंत्रण में आना मुश्किल होगा, लिहाजा आरबीआई के लिए आगे दरों में और कटौती भी मुश्किल होगी। एसआरबीवी क्लाएंट सॉल्यूशंस के संस्थापक-सीईओ टी. एस. हरिहर भी इसे एकमुश्त उपहार ही मानते हैं। उनके हिसाब से इसकी दो बड़ी वजहें हैं। एक तो यह कि महँगाई दर अभी भी 5% के ऊपर है। हरिहर भी दूसरा मुख्य कारक इसी बात को मानते हैं कि डॉलर का भाव पर 87.5 रुपये पर पहुँच चुका है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के रिटेल रिसर्च प्रमुख पंकज पांडेय का तर्क है कि भविष्य में ब्याज दरें और घटने की संभावनाएँ बहुत हल्की रहेंगी, क्योंकि तरलता (लिक्विडिटी) को लेकर तटस्थ (neutral) नजरिया बनाये रखा गया है।
ऐंबिट एसेट मैनेजमेंट के एमडी और सीओओ सिद्धार्थ रस्तोगी इसे स्पष्ट रूप से 1 बार का उपहार की बता रहे हैं। उनकी राय में रुपये की बढ़ती कमजोरी और महँगाई दर को लेकर चिंताएँ आरबीआई को आगे जल्दी-जल्दी दरें घटाने की अनुमति नहीं देंगी। वे इस तर्क के समर्थन में आरबीआई की नीतिगत समीक्षा की 5 बड़ी बातों को सामने रखते हैं :
1. तटस्थ नीतिगत रुख
2. केंद्रीय महँगाई (Core Inflation) बढ़ने की संभावना, हालाँकि यह मध्यम ही रहेगी
3. आर्थिक परिदृश्य चुनौतीपूर्ण है
4. रुपया अपने निम्नतम स्तर पर
5. जब अन्य देश वृद्धि पाने के संघर्ष कर रहे हैं, हमारी 6.7-6.8% वृद्धि एक अच्छी संख्या है
बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार मानते हैं कि यह दरों के घटने की शुरुआत है, पर आरबीआई इसका ग्राफ नीचे की ओर बहुत धीरे-धीरे और सँभल-सँभल कर ले जायेगा। ब्लूओशन कैपिटल के संस्थापक-सीईओ निपुण मेहता कहते हैं कि अगली 1-2 तिमाहियों में अब दरों में और कटौती की संभावना नहीं लग रही है।
हालाँकि दूसरी ओर कई विशेषज्ञ इस वर्ष कुछ और कटौतियों की आशा रख कर चल रहे हैं। एलिमेंट्स प्लेटफॉर्म्स के चेयरमैन अजय बग्गा के अनुसार आरबीआई की ओर से दरें घटाने की नयी श्रृंखला शुरू हो गयी है। वे कहते हैं कि “अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए और अधिक कटौतियों की आवश्यकता है। नोम्युरा ने 3 और कटौतियों की संभावना जतायी है, इक्रा ने 1 और कटौती की बात कही है। पर इससे ज्यादा कटौतियों के लिए जगह है।”
बग्गा कहते हैं, “वास्तविकता यह है कि राजनेताओं को धीमी वृद्धि से उतना डर नहीं लगता, जितना महँगाई बढ़ने से लगता है। इसलिए वे महँगाई को नियंत्रण में रखने का दबाव आरबीआई पर डालते हैं। यदि वृद्धि को प्रोत्साहित किया जाये, तो बढ़ी हुई आपूर्ति से खाद्य और ईंधन के अलावा अन्य महँगाई को नियंत्रण में रखने में मदद मिलेगी।”
डीआर चोकसी फिनसर्व के एमडी देवेन चोकसी का आकलन है कि अगली 6 तिमाहियों के बीच ब्याज दरों में 1.5% से 2% तक की कमी आ सकती है। भारत भूषण इक्विटी ट्रेडर्स के निदेशक विजय भूषण का कहना है कि कम-से-कम एक और कटौती तो होगी ही। एयूएम कैपिटल के रिसर्च प्रमुख राजेश अग्रवाल इसे दरों में कटौती के नये चक्र का आरंभ ही मान रहे हैं। वे कहते हैं कि अगर लगातार आने वाली नीतिगत समीक्षाओं में कटौती नहीं भी हो, तो 1 बार के अंतराल के बाद हो सकती है।
मैटरहॉर्न फैमिली ऑफिस के सलाहकार प्रकाश दीवान जरा अलग अंदाज में कहते हैं कि 1 बार का उपहार है या नये चक्र की शुरुआत, इस पर एक मानक जवाब तो यही होगा कि ‘आरबीआई अपना अगला कदम उठाने के लिए महँगाई दर के आँकड़े और उसके साथ रुपये की स्थिति को बारीकी से देखता रहेगा।’ पर व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि वे रेपो दर आगे और घटायेंगे।
वरुण कैपिटल की निदेशक शाहिना मुकादम इसे ब्याज दरें घटने के नये चक्र की शुरुआत मानती हैं। मगर उनकी आशाएँ काफी हल्की हैं। उनके अनुसार 2025-26 में और 25 आधार अंक की कमी हो सकती है। वहीं बाजार विश्लेषक विवेक नेगी इस बार हुई कटौती की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि यह विकास दर (GDP Growth) को तेज करने एवं तरलता बढ़ाने के लिहाज से अच्छा कदम है। हम आशा कर रहे हैं कि इस साल 2 बार और दरों में कटौती होगी और 2025 के अंदर आरबीआई की दरें 50 आधार अंक (bps) और नीचे जायेंगी।
विश्लेषकों की इस बँटी हुई राय से दिखता है कि आरबीआई की अगली मौद्रिक नीति समीक्षाओं में दरों के घटने को लेकर असमंजस बना रहेगा। आरबीआई ने स्वयं ही “तटस्थ” नजरिया सामने रख कर अपने लिए दोनों रास्ते खुले रखे हैं। आरबीआई की पैनी नजर उन सभी बातों पर रहने वाली है, जिनका जिक्र ये सभी विशेषज्ञ कर रहे हैं, यानी कि देश की विकास दर, देश के अंदर और वैश्विक महँगाई दर, और डॉलर-रुपये की विनिमय दर। (शेयर मंथन, 8 फरवरी 2025)
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