देश में डिजिटल भुगतान के मामलों में बढ़ती धोखाधड़ी से निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बड़ा ऐलान किया है। केंद्रीय बैंक जल्द ही बैंक डॉट इन (bank.in) और फिन डॉट इन (fin.in) के दो डोमेन की शुरुआत करेगा।
आरबीआई की पहल से रुकेंगे डिजिटल फ्रॉड
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद प्रेस वार्ता में इस बारे में जानकरी दी। उन्होंने कहा कि देश में डिजिटल पेमेंट के फ्रॉड के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। आरबीआई इसे लेकर गंभीर है। इससे निपटने के लिए इसी साल अप्रैल से बैंकों और एनबीएफसी के लिए दो डोमेन की शुरुआत की जाएगी। सबसे पहले बैंकों के लिए ‘बैंक डॉट इन’ डोमेन शुरू होगा। इसके बाद एनबीएफसी के लिए ‘फिन डॉट इन’ की भी शुरुआत की जाएगी।
घटेंगे मामले, बढ़ेगा भरोसा
आरबीआई गर्वनर संजय मल्होत्रा ने कहा कि इस पहल का मकसद साइबर सुरक्षा खतरों और ‘फिशिंग’ जैसी घटनाओं को रोकना है। ऐसा करने से ही डिजिटल बैंकिंग और भुगतान सेवा में लोगों का विश्वास बढ़ेगा। इन सब का रजिस्ट्रार इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी (आईडीआरबीटी) होगा।
अतिरिक्त परत अतिरिक्त सुरक्षा
केंद्रीय बैंक ने बिना कार्ड के लेनदेन में सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत (लेयर) शुरू करने का भी फैसला किया है। डिजिटल पेमेंट के लिये अतिरिक्त ऑथेंटिकेशन फैक्टर एग्रीगेशन (एएफए) शुरू होने से लेनदेन की सुरक्षा बढ़ी है। इससे ग्राहकों को डिजिटल भुगतान को अपनाने और उसकी सुरक्षा पर भरोसा करने में मदद मिली है।
दो डोमेन की जरूरत क्यों पड़ी?
देश में डिजिटल लेनेदेने की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ यूपीआई भुगतान में ही 40% से ज्यादा की बढ़त देखने को मिल रही है। एक महीने में करीब 1300 करोड़ से ज्यादा लेने देर पूरे देश में होते हैं। सरकार की साइबर क्राइम पर जारी एक रिपोर्ट बताती है कि देश में नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर रोजोना 6000 मामले दर्ज होते हैं। 1930 हेल्पलाइन पर 60000 कॉल रोजाना आती हैं। 3700 जाली खातों की रोज जानकारी मिलती है और रिपोर्ट किए गए 35% मामले 50 लाख रुपये से ऊपर की रकम वाले होते हैं। एनसीआरपी के आँकड़े बताते हैं कि कभी ये फ्रॉड केवाईसी के नाम पर किये जाते हैं तो कभी लोन देने, बिल जमा करने, शॉपिंग या दूसरे नाम पर किए जाते हैं।
किस मद में कितना धोखा
कस्टमर केयर, रिफंड आधारित, केवाईसी एक्सपायरी 40%
सेक्सटॉर्शन 24%
बायोमेट्रिक क्लोनिंग 8%
ऑनलाइन बुकिंग, फेंक फ्रेंचायजी, क्यूआर कोड आधारित 20%
मोबाइल फोन वायरस 8%
निवेश, लक्ष्य आधारित स्कैम, डिजिटल अरेस्ट, कुरिअर सर्विस स्कैम 40%
गैरकानूनी लोन ऐप 23%
रोमांस स्कैम 10%
हैकिंग 6%
(शेयर मंथन, 09 फरवरी 2025)
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