रेलिगेयर एंटप्राइजेज और रेलिगेयर फिनवेस्ट ने सेबी के साथ मामले का निपटारा कर लिया है। दोनों कंपनियों ने मामले के निपटारे के लिए सेबी को 10.5 करोड़ रुपए का भुगतान किया है।
इन दोनों कंपनियों पर वित्तीय अनियमितताओं और फंड को डायावर्ट करने का आरोप था।
दोनों कंपनियों ने मामले के निपटारे के लिए संयुक्त तौर पर 10.5 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। जहां तक व्यक्तिगत भुगतान का सवाल है तो रेलिगेयर एंटप्राइजेज ने 5.42 करोड़ रुपए और रेलिगेयर फिनवेस्ट ने 5.08 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। रेगुलेटरी मामले के निपटारे के लिए दोनों कंपनियों ने सेबी के पास प्रस्ताव दिया था। सेबी ने अपने आदेश में कहा कि डिफॉल्ट के मामले में कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
सेबी को रेलिगेयर फिनसर्व में वित्तीय अनियमितताएं और फंड डायवर्जन की शिकायत मिली थी। आपको बता दें कि रेलिगेयर फिनसर्व रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की सब्सिडियरी है जो लिस्टेड कंपनी है। कंपनी ने फंड डायवर्जन प्रोमोटर्स और प्रोमोटर्स ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए किया था। शिकायत के बाद सेबी ने जांच शुरू कि जिसमें पाया गया कि रेलिगेयर फिनसर्व एक धोखा वाली योजना चला रही है। इस योजना के तहत करीब 2,473.66 करोड़ रुपए का फंड डायवर्जन किया गया जिसका सीधा फायदा प्रोमोटर्स को मिला।
इसके अलावा जांच में पाया गया है कि रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के कंसोलिडेटेड वित्तीय आंकड़े सही और निष्पक्ष नहीं हैं। कंपनी की ओर से दिए गए आंकड़े लिस्टेड कंपनी के शेयरधारकों को भ्रमित करने वाले हैं। रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड के कॉरपोरेट लोन बुक को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से बार-बार विपरीत राय आने के बावजूद रेलिगेयर एंटरप्राइजेज ने इसकी जानकारी 2017 तक स्टॉक एक्सचेंज को नहीं दी।
इसे देखते हुए मार्केट रेगुलेटर ने कार्रवाई करते हुए नवंबर 2020 में कारण बताओ नोटिस जारी किया। कंपनी को यह कारण बताओ नोटिस PFUTP यानी Prohibition of Fraudulent and Unfair Trade Practices के उल्लंघन को लेकर भेजा था। साथ ही कंपनी को कंपनी को लिस्टिंग ऑब्लिगेशन एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स नियमों के उल्लंघन के आरोप में नोटिस भेजा गया था। सेबी कमेटी ने फी का भुगतान कर मामले के निपटारे की सिफारिश की थी। (शेयर मंथन 01 जून 2022)
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