एमसीएक्स में कॉटन वायदा (जनवरी) की कीमतों में 20,700 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ तेजी का रुझान रहने की संभावना है।
कम उत्पादन अनुमान के कारण कीमतों को मदद मिल सकती है। भारतीय कपास निगम के अनुसार वर्ष 2018-19 में भारत में कपास का उत्पादन 335 लाख बेल होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के 365 लाख बेल की तुलना में लगभग 8% कम है। पानी की कमी के कारण भारतीय कपास निगम का अनुमान है कि किसानों ने लगभग 70-80% कपास क्षेत्रों को अभी तक छोड़ रखा है।
ग्वारसीड वायदा (फरवरी) की कीमतों में 4,200-4,180 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है, जबकि ग्वारगम वायदा (फरवरी) की कीमतों में 8,200 रुपये तक गिरावट हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता के कारण अधिकांश स्टॉकिस्ट बाजार से दूरी बनाये हुए हैं। दूसरी ओर अमेरिका में शेल तेल उत्पादकों का मुनाफा कम होने के कारण उनके द्वारा पहले के अनुमान की तुलना में पिछले पाँच वर्षो में कम तेल का उत्पादन किये जाने से ग्वारगम के निर्यात को लेकर आशंका भी बढ़ी है।
चना वायदा (मार्च) की कीमतों में 4,250 रुपये तक नरमी बरकरार रहने की संभावना है। दाल और बेसन की सुस्त माँग और बिकवाली के दबाव के कारण हाजिर बाजारों में चना की कीमतों में गिरावट हो रही है। चना की फसल के अनुकूल मौसम और नाफेड द्वारा बिक्री के साथ ही नयी फसल की आवक जल्दी ही होने की संभावना से सेंटीमेंट पर दबाव पड़ रहा है। (शेयर मंथन, 10 जनवरी 2019)
ग्वारसीड वायदा (फरवरी) की कीमतों में 4,200-4,180 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है, जबकि ग्वारगम वायदा (फरवरी) की कीमतों में 8,200 रुपये तक गिरावट हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता के कारण अधिकांश स्टॉकिस्ट बाजार से दूरी बनाये हुए हैं। दूसरी ओर अमेरिका में शेल तेल उत्पादकों का मुनाफा कम होने के कारण उनके द्वारा पहले के अनुमान की तुलना में पिछले पाँच वर्षो में कम तेल का उत्पादन किये जाने से ग्वारगम के निर्यात को लेकर आशंका भी बढ़ी है।
चना वायदा (मार्च) की कीमतों में 4,250 रुपये तक नरमी बरकरार रहने की संभावना है। दाल और बेसन की सुस्त माँग और बिकवाली के दबाव के कारण हाजिर बाजारों में चना की कीमतों में गिरावट हो रही है। चना की फसल के अनुकूल मौसम और नाफेड द्वारा बिक्री के साथ ही नयी फसल की आवक जल्दी ही होने की संभावना से सेंटीमेंट पर दबाव पड़ रहा है। (शेयर मंथन, 10 जनवरी 2019)
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