एसएमसी कमोडिटीज ने अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट में जिक्र किया है कि पिछला हफ्ता वर्ष 2018 का लगभग अंतिम हफ्ता था, जिसमें कम कारोबार के बीच अधिक उठापटक हुई।
कुल मिलाकर सीआरबी इंडेक्स गिरावट के साथ बंद हुआ, फिर भी पिछले हफ्ते मामूली रिकवरी के साथ 176 के नजदीक बंद हुआ। सर्राफा के लिए यह काफी अच्छा रहा, जिसमें ब्रेकआउट हुआ। राजनीतिक अनिश्चितता और वृद्धि को लेकर चिंता से शेयर बाजारों में गिरावट और प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के कमजोर होने के कारण सोने की कीमतों में बढ़त दर्ज की गयी। अमेरिकी सरकार की आंशिक कार्यबंदी को लेकर आशंका और 90 दिनों के युद्ध विराम की समाप्ति पर अमेरिका-चीन के लंबी अवधि के व्यापार करारों पर सहमत होने पर संदेह के कारण विश्व स्तर पर शेयर बाजारों में भारी बिकवाली हुई और निवेशकों ने सुरक्षित निवेश के लिए सोने की खरीदारी की। चांदी की कीमतों में भी तेजी दर्ज की गयी और कीमतें 15 डॉलर के स्तर को पार कर गयीं, जो अहम मनौवैज्ञानिक स्तर है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था के धीमा होने की आशंका और विश्व स्तर पर तेल आपूर्ति की अधिकता के कारण गुरुवार को तेल की कीमतों में गिरावट हुई। इसके पहले तेल की कीमतों में 8% की उछाल दर्ज की गयी थी। वैश्विक आर्थिक वृद्धि के धीमा होने की आशंका से जोखिम वाले एसेट में निवेशकों का सेंटीमेंट बाधिक हुआ और कच्चा तेल वायदा की कीमतों पर दबाव पड़ा। इसके अतिरिक्त अधिक उत्पादन के साथ कमजोर माँग के कारण नेचुरल गैस की कीमतों में गिरावट हुई।
चीन के औद्योगिक मुनाफे में गिरावट के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था के धीमा होने की आशंका से औद्योगिक धातुओं की कीमतों में गिरावट हुई। लेकिन लेड और जिंक में थोड़ी खरीदारी हुई। हाजिर बाजारों में बैटरी निर्माताओं की ओर से माँग में बढ़ोतरी और कारोबारियों द्वारा नये पोजिशन के कारण लेड की कीमतों में तेजी दर्ज की गयी। दिसंबर में एलएमई में ऑन वारंट तांबे का भंडार अभी तक 43% बढ़ा है, जो बेहतर आपूर्ति की ओर संकेत कर रहा है।
कृषि कमोडिटीज में पिछले हफ्ते छोटी इलायची बाजार में लगभग तेजी का रुझान रहा। जून 2019 में आने वाली नयी फसल और अभी इलायची की उपलब्धता के बीच भारी अंतर के कारण केरल और तमिलनाडु के नीलामी केंद्रों पर कीमतों के 1,300 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर बने रहने के कारण कीमतों को मदद मिली। जीरे की वायदा कीमतों के रुझान पर देश के प्रमुख हाजिर बाजारों में जीरे की कीमतों में नरमी रही, क्योंकि प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में कड़ाके की ठंड के कारण उत्पादन के बेहतर होने की संभावना बढ़ गयी है। कच्चे तेल की कीमतों में नरमी के रुझान पर वायदा कीमतों में गिरावट और पेराई मिलों की ओर से कम माँग के कारण राजस्थान के प्रमुख बाजारों में ग्वारसीड और ग्वारगम की कीमतों में गिरावट हुई है। तिलहन और खाद्य तेल भी गिरावट के साथ बंद हुए। (शेयर मंथन, 31 दिसंबर 2018)
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