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भौतिक सोने या गोल्ड ईटीएफ से बेहतर विकल्प है सोवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond)

अनिल चोपड़ा
ग्रुप डायरेक्टर, बजाज कैपिटल
अगर आप पूछें कि सोवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign gold bond में पैसा लगाना चाहिए या नहीं, तो सबसे पहले यह देखना चाहिए कि अभी आपके पोर्टफोलिओ में सोने की हिस्सेदारी कितनी है।

पोर्टफोलिओ में सोने का आवंटन 5-10% के बीच में रखना अच्छा होता है। अगर पहले ही पोर्टफोलिओ में सोने का हिस्सा इस सीमा के ऊपर है, तो इस बॉन्ड में पैसा लगाने का कोई फायदा नहीं है। अगर इसका हिस्सा 5% से कम है तो फिर पैसा लगाना चाहिए। अगर 5-10% के बीच में हो, तो थोड़ा-बहुत लगा सकते हैं।
दरअसल भौतिक रूप से सोने में निवेश करने के बदले इस सोवरेन गोल्ड बॉन्ड में पैसा लगाना कहीं बेहतर विकल्प है। भौतिक सोने की तरह इसकी चोरी नहीं हो सकती। यह सरकारी योजना है इसलिए इसमें लगा पैसा पूरी तरह सुरक्षित है। आगे सोने की कीमत में जो भी उतार-चढ़ाव होगा, उसके हिसाब से ही इसमें प्रतिफल मिलेगा। सोने की कीमत में जो वृद्धि होगी, उसका फायदा तो निवेशक को मिलेगा ही, साथ ही इसमें सालाना 2.5% ब्याज भी ऊपर से मिलेगा। यह ब्याज जो छमाही आधार पर जुड़ेगा, यानी हर छह महीने पर 1.25% ब्याज जुड़ता जायेगा। इसलिए यह अच्छी योजना है, लेकिन ऐसी बात नहीं कि आप इक्विटी या डेब्ट फंडों से पैसा निकाल कर इसमें निवेश करने की सोचें।
लेकिन जहाँ इसमें भौतिक सोने की तुलना में चोरी आदि से सुरक्षा का लाभ है, वहीं अतिरिक्त ब्याज का फायदा इसे भौतिक सोने या गोल्ड ईटीएफ दोनों की तुलना में आकर्षक बनाता है। साथ ही इसमें कर की बचत (Tax Saving) भी उपलब्ध है। अगर आप भौतिक रूप से सोना खरीद कर तीन साल से कम समय में बेचते हैं, तो उससे होने वाले लाभ पर अल्पावधि पूँजीगत प्राप्ति कर (STCG) लगता है और उसकी राशि आपकी कर-योग्य आय में जुड़ जाती है।
अगर आप तीन साल या इससे अधिक समय बाद भौतिक सोने को बेचते हैं तो इससे हुए लाभ पर 20% दीर्घावधि पूँजीगत प्राप्ति कर (लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन या LTCG) लगता है, जिस पर इंडेक्सेशन का लाभ मिलता है। यही बात गोल्ड ईटीएफ पर भी लागू होती है। वहीं सोवरेन गोल्ड बॉन्ड को 8 साल की परिपक्वता अवधि तक रखे रहने पर निवेशक के लिए एलटीसीजी शून्य होगा, यानी इससे मिलने वाला सारा पूँजीगत लाभ कर-मुक्त होगा।
एक बात ध्यान रखें कि सोवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश करने के लिए आपके पास डीमैट खाता होना जरूरी है। यह एक बड़ा कारण है कि छोटे-छोटे शहरों में ऐसे लाखों निवेशक इसमें पैसा लगाने से चूक जाते हैं, जिनके पास डीमैट खाता नहीं होता है। (शेयर मंथन, 9 अक्टूबर 2019)

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