सर्राफा की कीमतों की तेजी थम गयी है और 3 सप्ताह के बाद पहली साप्ताहिक गिरावट हुई है।
सोने की कीमतों में 1,900 डॉलर के अहम स्तर के नीचे और सात साल में सबसे खराब गिरावट दर्ज करने के बाद रिकवरी हुई क्योंकि कमजोर आर्थिक आँकड़ों से महामारी के कारण आर्थिक धीमेपन के बरकरार रहने की ओर संकेत किया है। सोने की कीमतों में अप्रैल 2013 के बाद एक दिन में सबसे खराब 6.2% की गिरावट हुई जबकि अक्टूबर 2008 के बाद चांदी की कीमतों में सबसे अधिक 15% की गिरावट दर्ज की गयी। यह गिरावट काफी अच्छी रही क्योंकि यह अन्य लोगों को भी निवेश करने की अनुमति देता है, और इसलिए कीमतें फिर से बढ़ेंगी। अभी वे सभी फंडामेंटल कारक बरकरार हैं जिनसे सोने की कीमतों को मदद मिलती हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व लंबी अवधि के लिए कोई बदलाव नहीं करने वाला है। फेड ने पहले ही कहा है कि वे मुद्रास्फीति को अपने लक्ष्य से ऊपर ले जायेगें। बड़े स्टीमुलस उपाय से सोने की कीमतों को मदद मिलती हैं, जिसे अक्सर मुद्रास्फीति के खिलाफ हेज माना जाता है। महामारी के कारण आर्थिक नुकसान होने से दूसरी तिमाही में ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में 20.4% की कमी आने और डॉलर के कमजोर होने के कारण सोने की कीमतों में लंबे समय तक तेजी का रुझान बरकरार है। इसलिए कीमतों में किसी भी गिरावट को खरीदारी के अवसर के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि बड़े आर्थिक कारक सोने की कीमतों में बढ़ोतरी के अनुकूल है।
विश्व में सोने के सबसे बड़े ईटीएफ एसपीडीआर गोल्ड ट्रस्ट की होल्डिंग 1,252.09 टन हो गयी। निवेशक अभी भी एक और अमेरिकी स्टीमुलस पैकेज की प्रतीक्षा कर रहे हैं और 15 अगस्त को व्यापार वार्ता से पहले अमेरिकी-चीन संबंधें पर नजर रखते हुये इस हफ्ते सोने की कीमतें 49,300-56,700 रुपये के दायरे में और चांदी की कीमतें 59,200-76,300 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है जबकि कोमेक्स में सोने की कीमतें 1890-2000 डॉलर के दायरे में और चांदी की कीमतें 22.20-27.40 डॉलर के दायरे में कारोबार कर सकती है। (शेयर मंथन, 17 अगस्त 2020)
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