सोने की कीमतों में लगातार तीसरे हफ्ते वृद्धि हुई है क्योंकि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और डॉलर के कमजोर होने से सुरक्षित निवेश के लिए सोने की माँग में बढ़ोतरी हुई जबकि निवेशकों की नजर फेडरल रिजर्व की उच्च मुद्रास्फीति और सुस्त आर्थिक विकास पर चिंताओं को लेकर प्रतिक्रिया पर है।
बेंचमार्क 10-वर्षीय यू.एस. ट्रेजरी यील्ड में तीन महीनों में सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट हुई है जिससे गैर-यील्ड वाले बुलियन को रखने की अवसर लागत कम हो गयी। डॉलर लगातार तीसरी साप्ताहिक गिरावट की ओर अग्रसर हुआ, जिससे अन्य मुद्रायें रखने वाले खरीदारों के लिए सोना अधिक आकर्षक हो गया। निवेशक अब 3 नवंबर को होने वाली फेड नीति की बैठक का इंतजार कर रहे हैं। अमेरिकी आँकड़ों से पता चलता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पिछली तिमाही में एक साल से अधिक समय में सबसे धीमी गति से बढ़ी है जबकि अगले 12 महीनों में उपभोक्ताओं की मुद्रास्फीति को लेकर उम्मीदें बढ़कर 12 वर्ष के उच्च स्तर पर पहुँच गयी।
यूरोपीय सेंट्रल बैंक के अध्यक्ष क्रिस्टीन लेगार्ड ने गुरुवार को उच्च मुद्रास्फीति को स्वीकार किया, लेकिन बाजार के इस अनुमान को अनदेखा कर दिया कि मूल्य दबाव के कारण अगले साल ब्याज दरों में बढ़ोतरी हो सकती है। सोने को परंपरागत रूप से मुद्रास्फीति के बचाव के रूप में देखा जाता है। लेकिन कम प्रोत्साहन और ब्याज दरों में बढ़ोतरी से सरकारी बॉन्ड यील्ड बढ़ेगा, जिससे सोने को रखने के लिए अवसर लागत अधिक हो जायेगी। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार भारत में सोने की माँग जुलाई-सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर 47% बढ़कर 139.1 टन हो गयी है। इस अवधि में भारत में रिसाइकिल सोने की कुल मात्रा 50% घटकर 20.7 टन रह गयी, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 41.5 टन रही है। इस सप्ताह सोने की कीमतें तेजी के रुझान के साथ कारोबार कर सकती है जहाँ कीमतें 46,800-48,900 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। चांदी की कीमतें तेजी के रुझान के साथ 63,000-66,500 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। (शेयर मंथन, 01 नवंबर 2021)
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