केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई) एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) का तीसरा फर्दर फंड ऑफर (FFO) खुदरा निवेशकों के लिए 28-30 नवंबर 2018 के बीच खुला रहेगा और इसमें उन्हें 4.5% की छूट भी मिलने वाली है। आइये जानते हैं कि क्या खास बातें हैं इस ईटीएफ की। सीपीएसई ईटीएफ दरअसल कुछ चुनिंदा सरकारी कंपनियों में विनिवेश यानी सरकारी शेयरधारिता घटाने का रास्ता है।
निवेशकों को शेयरों की बिक्री के पारंपरिक तरीकों, जैसे आईपीओ या ऑफर फोर सेल (ओएफएस) के मुकाबले ईटीएफ एक नया रास्ता था। सीपीएसई ईटीएफ का न्यू फंड ऑफर (एनएफओ) मार्च 2014 में लाया गया था। इसकी यूनिटों को एनएसई और बीएसई में अप्रैल 2014 में सूचीबद्ध किया गया। इसके बाद जनवरी 2017 और मार्च 2017 में इसके फर्दर फंड ऑफर (एफएफओ) लाये गये। इन एनएफओ और एफएफओ को अच्छी प्रतिक्रिया मिली, यानी इश्यू के आकार के मुकाबले अधिक आवेदन मिले। इनकी संयुक्त एयूएम (प्रबंधन अधीन संपदा) लगभग 11,500 करोड़ रुपये की है। सीपीएसई ईटीएफ का संचालन रिलायंस एएमसी करती है।
संदर्भ :
विनिवेश का लक्ष्य 6,000-12,000 करोड़ रुपये का है, हालाँकि मौजूदा मूल्यांकन नीचे हैं।
ईटीएफ का संयोजन
इस ईटीएफ में अलग-अलग क्षेत्रों के 11 शेयर हैं, जिनमें तेल, विद्युत, खनन, पेट्रोलियम उत्पाद, वित्त आदि शामिल हैं। भारिता (वेटेज) के लिहाज से मुख्य पाँच कंपनियों में एनटीपीसी (19.59%), कोल इंडिया (19.17%), इंडियन ऑयल (18.98%), ओएनजीसी (18.92%) और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन (6.19%) शामिल हैं। हाल ही में इसके संयोजन में बदलाव किया गया है और गेल इंडिया, कंटेनर कॉर्पोरेशन एवं इंजीनियर्स इंडिया को हटा कर उनकी जगह एनटीपीसी, एनएलसी और एसजेवीएन को शामिल किया गया है।
क्षेत्रवार आवंटन
अलग-अलग क्षेत्रों में आवंटन की बात करें तो तेल-गैस में 22.38%, विद्युत में 21.18%, खनिज/खनन में 19.17%, पेट्रोलियम उत्पादों में 18.98%, वित्त में 11.69%, औद्योगिक पूँजीगत वस्तु में 4.95% और निर्माण (कंस्ट्रक्शन) में 1.66% आवंटन है।
निफ्टी सीपीएसई सूचकांक में शामिल 11 में से 6 कंपनियाँ या तो अपने क्षेत्र में अग्रणी हैं या एकाधिकार वाली हैं :
• ओएनजीसी और ऑयल इंडिया - तेल उत्पादन में अग्रणी
• कोल इंडिया - कोयले की आपूर्ति में एकाधिकार
• इंडियन ऑयल - ईंधन वितरण और पेट्रोकेम में अग्रणी
• भारत इलेक्ट्रॉनिक्स - रक्षा क्षेत्र की अग्रणी कंपनी
• एनटीपीसी - कोयला आधारित बिजली उत्पादन की अग्रणी कंपनी
ऊर्जा कंपनियाँ : आकर्षक मूल्यांकन
अगस्त 2018 तक भारत में बिजली संयंत्रों की कुल स्थापित क्षमता 344.69 गीगावाट हो गयी है। भारत में कोयला आधारित बिजली उत्पादन क्षमता वर्तमान में 196 गीगावाट है और 2040 तक 330-441 गीगावाट हो जाने की उम्मीद है।
भारत की प्रति व्यक्ति बिजली खपत विश्व औसत का 1/4 है और ऐसे में विकास के लिए बहुत अधिक अवसर हैं।
सरकारी तेल कंपनियाँ : आकर्षक मूल्यों पर खपत
पेट्रोलियम उत्पादों (पेट्रोल और डीजल) की खपत माँग मजबूत बनी हुई है और यह माँग संरचनात्मक है। वैश्विक रिफाइनिंग क्षमता में सीमित क्षमता वृद्धि को देखते हुए इनका सकल रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) अच्छा रहने की उम्मीद है।
• इन्फ्रा एवं इंजीनियरिंग : एमओएटी के साथ नेतृत्व
• सरकारी व्यय, रसद (लॉजिस्टिक्स) और रक्षा में बड़े अवसर
• संबंधित क्षेत्रों में बाजार की प्रमुख कंपनियाँ
• महत्वपूर्ण रूप से विकास क्षमता और शुद्ध नकदी के साथ शानदार बैलेंस शीट
उपरोक्त सभी बिंदु भविष्य में वृद्धि के बेहतर अवसरों की ओर इशारा करते हैं।
सीपीएसई सूचकांक की अवधारणा
खास तौर पर इस ईटीएफ के संयोजन और प्रदर्शन पर आसानी से निगाह रखने के लिए निफ्टी सीपीएसई सूचकांक बना है। इस सूचकांक में 11 शेयर हैं जिनकी भारिता वेटेज उसी प्रकार है, जैसा पहले जिक्र किया जा चुका है। इनकी भारिता सूचकांक में शामिल शेयरों के फ्री-फ्लोट बाजार पूँजीकरण से तय होती है।
अन्य व्यापक सूचकांकों की तुलना में आकर्षक मूल्यांकन और ऊँचा डिविडेंड यील्ड :
प्रदर्शन
पिछले कुछ समय से पीएसयू कंपनियों के बारे में बाजार की धारणा नकारात्मक रही है। सामान्य तौर पर सीपीएसई का और विशेष रूप से सीपीएसई सूचकांक का प्रदर्शन खराब रहा है। पिछले 3 वर्षों में (31 अक्टूबर 2018 तक) निफ्टी टोटल रिटर्न इंडेक्स (टीआरआई) के 10.22% के मुकाबले सीपीएसई ईटीएफ ने 5.97% का औसत सालाना प्रतिफल (रिटर्न) दिया है। अपने आरंभ से अब तक सीपीएसई ईटीएफ का औसत सालाना प्रतिफल 8.17% रहा है, जबकि निफ्टी टीआरआई ने 11.47% प्रतिफल दिया है।
मूल्यांकन
यह खराब प्रदर्शन अपने-आप में सकारात्मक है क्योंकि मूल्यांकन अब और अधिक आकर्षक हैं और लंबी अवधि में निवेश का अवसर देते हैं। 31 अक्टूबर 2018 को निफ्टी का मूल्य-आय (पीई) अनुपात वित्त वर्ष 2017-18 की आय (अर्निंग) के आधार पर 25.4 है। इसके मुकाबले निफ्टी सीपीएसई का पीई अनुपात केवल 9.5 है। यह निफ्टी पीई के मुकाबले 63% छूट (डिस्काउंट) को दर्शाता है। इसी प्रकार सीपीएसई का प्राइस-टू-बुक वैल्यु (पीबी) अनुपात 1.3 गुना पर है और निफ्टी के 3.5 गुना पीबी अनुपात के मुकाबले 62% कम है। हालाँकि दोनों का इक्विटी रिटर्न (आरओई) समान स्तर पर है। वित्त वर्ष 2017-18 में निफ्टी के 14% की तुलना में सीपीएसई का 14.1% आरओई रहा है।
आगामी एफएफओ
2017 में आये एफएफओ और एफएफओ-2 के बाद नवंबर 2018 के अंतिम सप्ताह में इसका अगला एफएफओ-3 आयेगा। ऐंकर निवेशकों के लिए यह एफएफओ 27 नवंबर 2018 को खुलेगा और उसी दिन बंद होगा। अन्य निवेशकों के लिए यह एफएफओ 28 नवंबर 2018 को खुलेगा और 30 नवंबर 2018 को बंद होगा। खुदरा निवेशक इस एफएफओ में न्यूनतम 5,000 रुपये और उसके बाद 1 रुपये के गुणक में आवेदन कर सकते हैं। जैसी कि पहले भी चर्चा की जा चुकी है, अब तक सीपीएसई का प्रदर्शन खराब रहा है। लेकिन इसके मूल्यांकन (पीई और पीबी अनुपात) काफी आकर्षक हैं और इसका आरओई निफ्टी के समान है। इन सबसे ऊपर सीपीएसई के अपेक्षाकृत कम भावों के हिसाब से भी सीपीएसई की डिविडेंड यील्ड बेहतर है। 31 अक्टूबर 2018 को निफ्टी सीपीएसई इंडेक्स की डिविवेंड यील्ड 5.25% है, जो निफ्टी के 1.27% डिविडेंड यील्ड के मुकाबले काफी बेहतर है। हालाँकि निवेशक कभी भी ईटीएफ खरीद सकते हैं, मगर एफएफओ अवधि के दौरान इस पर छूट उपलब्ध होती है।
निष्कर्ष
जो निवेशक सीपीएसई को पसंद करते हैं और उनमें परोक्ष ढंग से लंबी अवधि का निवेश कम लागत में करना चाहते हैं, वे सीपीएसई एफएफओ-3 पर विचार कर सकते हैं। सेबी के संशोधित टीईआर मानदंडों को ध्यान में रखते हुए भी सक्रिय प्रबंधन वाले फंडों के मुकाबले सीपीएसई ईटीएफ के फंड प्रबंधन शुल्क बहुत कम हैं।
सकारात्मक चीजें :
आकर्षक मूल्यांकन
सीपीएसई कंपनियों द्वारा लाभांश की घोषणा अभी बाकी है, जो एक महत्वपूर्ण अवसर है
इसमें शामिल कंपनियों के मजबूत कारोबारी मॉडल
नजर रखने लायक बातें :
हाल ही के नकारात्मक प्रदर्शन। हालाँकि जैसा कि पहले बताया गया है, कम मूल्यांकन इसे एक आकर्षक निवेश विकल्प बनाते हैं।
(शेयर मंथन, 24 नवंबर 2018)
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