

राजीव रंजन झा : निवेश मंथन पत्रिका के फरवरी 2013 के अंक में निफ्टी (Nifty) 5500-5400 तक टूटने की संभावना जतायी गयी थी और 10 अप्रैल को निफ्टी 5477 के निचले स्तर पर नजर आया।
वहीं अप्रैल 2013 के, यानी पिछले महीने के अंक में राग बाजारी का शीर्षक था कि “अगर 5400 टूटा तो निफ्टी का अगला सहारा 5220-5280”, मगर 5400 का सहारा टूटने की नौबत नहीं आयी।
दरअसल अप्रैल अंक में ही मैंने तीन अलग-अलग संरचनाओं के आधार पर लिखा था कि निफ्टी के लिए 5400 के ऊपर कहीं सहारा ले सकने की संभावना अच्छी-खासी है। मेरी नजर थी जून 2012 की तलहटी 4770 से लेकर जनवरी 2013 के शिखर 6112 तक की उछाल की 50% वापसी यानी 5441 पर। साथ ही सितंबर 2012 में 5447-5527 के दायरे में बने ऊपरी अंतराल का निचला छोर 5447 पर था। इसके अलावा नवंबर 2010 के शिखर 6339 से लेकर दिसंबर 2011 की तलहटी 4531 तक की गिरावट वाली संरचना में भी 50% वापसी 5435 पर है। ये तीनों संरचनाएँ कह रही थीं कि निफ्टी के लिए 5400 के ऊपर अच्छा सहारा बनता है।
लेकिन 5477 की तलहटी बनाने के बाद निफ्टी ने जिस तूफानी रफ्तार से चाल पकड़ी, वह हैरतअंगेज थी। अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में निफ्टी में 5477 की तलहटी से 5962 तक यानी 485 अंक या 8.85% उछल गया। लेकिन इस तीखी उछाल के बावजूद बाजार उसी दायरे में आ गया, जिस दायरे में मैंने निवेशकों-कारोबारियों के लिए उलझन होने की बात कही थी। मैंने अप्रैल अंक में लिखा था कि “मोटे तौर पर सेंसेक्स पर 19,000-19,500 के दायरे में बड़ी उलझन होगी। इसी तरह निफ्टी के लिए मोटे तौर पर 5800 से 6000 का दायरा बड़ी दुविधा वाला होगा।“ अब अप्रैल के अंत में सेंसेक्स 19,504 पर और निफ्टी 5930 पर नजर आ रहा है। अप्रैल के अंतिम तीन सत्रों में बाजार की यह दुविधा सेंसेक्स-निफ्टी के चार्ट पर नजर भी आने लगी है। शुक्रवार 26 अप्रैल को निफ्टी 5860-5907 के दायरे में रहा, जो पिछले सत्र यानी गुरुवार के इसके दायरे 5853-5925 के बिल्कुल अंदर रहा। इसे विश्लेषक इनसाइड बार कहते हैं, जो अनिश्चय का संकेत देता है। असमंजस के साथ-साथ यह अक्सर बाजार की दिशा बदलने का एक आरंभिक संकेत भी देता है। लेकिन दिशा बदलने के संकेत के लिए इस संरचना पर तब भरोसा बनता, जब यह अगले एक-दो सत्रों में गुरुवार के निचले स्तर 5853 को तोड़ देता। इसके बदले हमने देखा कि सोमवार 29 अप्रैल को निफ्टी ने शुक्रवार के मुकाबले ऊपरी शिखर और ऊपरी तलहटी बनायी, हालाँकि यह गुरुवार के ऊपरी स्तर को पार नहीं कर सका। मंगलवार 30 अप्रैल को इसने गुरुवार का ऊपरी स्तर 5925 पार कर लिया, लेकिन उस दिन के ऊपरी स्तर 5962 से काफी नीचे आकर 5930 पर बंद हुआ। मंगलवार को इसने सोमवार का निचला स्तर भी तोड़ा, लेकिन दिन के निचले स्तर 5868 से काफी सँभल गया। यानी ऊपर बिकवाली का दबाव, नीचे खरीदारी का सहारा। कुल मिला कर अप्रैल के अंतिम तीन सत्र बाजार की अगली चाल के बारे में केवल इतना कह रहे हैं कि यह अपनी अगली बड़ी चाल तय करने से पहले ठिठक गया है।
अगर हम मूविंग एवरेज स्तरों को देखें तो छोटी अवधि से लेकर लंबी अवधि तक के सारे मूविंग एवरेज सकारात्मक संकेत देने लगे हैं। सेंसेक्स अभी 19,504 पर है। छोटी अवधि के सिंपल मूविंग एवरेज (एसएमए) में 10 एसएमए 19,078 पर और 20 एसएमए 18,816 पर है। यानी न केवल सेंसेक्स इन दोनों से ऊपर है, बल्कि 10 एसएमए का 20 एसएमए के ऊपर होना भी सकारात्मक है। लंबी अवधि के लिहाज से देखें तो 50 एसएमए अभी 19,057 पर और 200 एसएमए 18,728 पर है। सेंसेक्स इन दोनों से ऊपर है और इन दोनों में भी 50 एसएमए का 200 एसएमए से ऊपर होना सकारात्मक संकेत है। निफ्टी की कहानी भी अलग नहीं है।
लेकिन अब बाजार को तय करना है कि क्या यह मार्च के शिखर को पार करके मजबूती का अगला संकेत देना चाहता है? सेंसेक्स का मार्च का शिखर 19755 का है, जबकि निफ्टी ने मार्च में 5971 का शिखर बनाया था। अप्रैल के अंतिम दिन दोनों मार्च के अपने शिखरों के बेहद करीब चले गये। सेंसेक्स का 30 अप्रैल का ऊपरी स्तर 19,623 रहा और यह मार्च के शिखर से बस आधा-पौन फीसदी दूर रह गया। वहीं निफ्टी तो 5971 के शिखर से केवल 9 अंक पीछे रह गया। अगर सेंसेक्स और निफ्टी मार्च के अपने शिखरों से ऊपर निकले तो जनवरी से अब तक निचले शिखर बनने का सिलसिला खत्म हो जायेगा। यह बाजार में कमजोरी का दौर खत्म होने का एक अच्छा तकनीकी संकेत होगा। पिछले अंक में भी मैंने लिखा था कि “जब तक सेंसेक्स 19,755 और निफ्टी मोटे तौर पर 5950-6000 के दायरे को अच्छी मजबूती से पार नहीं करते, तब तक बाजार में कमजोरी लौटने की आशंका सताती रहेगी। निफ्टी 6000 के ऊपर जाने पर ही निचले शिखर बनने का सिलसिला खत्म होगा और बाजार में नयी जान लौट सकेगी।”
अगर जनवरी-अप्रैल 2013 के दौरान सेंसेक्स में 20,204 से 18,144 तक की गिरावट की वापसी देखें तो सेंसेक्स ने 61.8% वापसी के स्तर 19417 को पार करता दिख रहा है। अगर यह इसके ऊपर टिक सका तो 80% वापसी यानी 19,792 अगला पड़ाव होगा। ध्यान दें कि मार्च का शिखर 19,755 भी उसके आसपास ही है। इसी तरह निफ्टी की बात करें तो जनवरी के शिखर 6112 से अप्रैल की तलहटी 5477 तक की गिरावट की संरचना में 61.8% वापसी 5869 पर है, जिसके ऊपर आ जाने के बाद अब इसका अगला लक्ष्य 80% वापसी यानी 5985 तक चढ़ना है। इन सब बातों के मद्देनजर सेंसेक्स के लिए 19,792 और निफ्टी के लिए 5971 (मोटे तौर पर 6000) पार करना आसान नहीं लगता। अगर निफ्टी की कुछ ज्यादा बड़ी संरचना देखें तो नवंबर 2010 के शिखर 6339 से दिसंबर 2011 की तलहटी 4531 तक की गिरावट की 80% वापसी भी 5978 पर है। यानी 6000 के आसपास निफ्टी के लिए कई संरचनाओं में कड़ी बाधा दिखती है।
लेकिन निफ्टी 5971-6000 के आगे जाने पर जनवरी का शिखर फिर से छू सकता है।
इसी तरह सेंसेक्स 19,792 से आगे बढ़ सका तो 20,204 तक चढ़ने की उम्मीद बन जायेगी। अगर हम जून 2012 में बनी तलहटी से जनवरी के शिखर तक की उछाल की वापसी देखें, तो सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही 23.6% वापसी के स्तरों (सेंसेक्स के लिए 19,153 निफ्टी के लिए 5795) से काफी ऊपर आ चुके हैं। इस हिसाब से इनके लिए जनवरी के शिखर तक वापस लौटने की राह में केवल एक ही महत्वपूर्ण बाधा मार्च के शिखर के रूप में है। इस आधार पर ही कहा जा सकता है कि मार्च का शिखर पार कर लेने पर सेंसेक्स और निफ्टी के लिए जनवरी के शिखर को छूना एक स्वाभाविक लक्ष्य की तरह होगा।
लेकिन अगर निफ्टी 5970-6000 के दायरे में मिलने वाली बाधा को पार न कर सके तो अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में बनी तेज चाल के खत्म होने का संकेत हो सकता है। वैसी हालत में सेंसेक्स के लिए 20204-18144 की संरचना में 50% वापसी के स्तर 19,174 पर नजर रहेगी। यह स्तर टूटने पर बाजार बड़ी गिरावट की ओर बढ़ सकता है। इसी तरह निफ्टी के लिए 6112-5477 की संरचना में 50% वापसी का स्तर 5794 है, जिसका टूटना खतरनाक होगा। गौरतलब है कि इन स्तरों के टूटने पर सेंसेक्स और निफ्टी जनवरी और मार्च के शिखरों को मिलाती रुझान रेखा के नीचे फिर से लौट आयेंगे, यानी वापस कमजोरी के दौर में आ जायेंगे। वैसी स्थिति में मुझे अप्रैल अंक का शीर्षक फिर याद आयेगा, कि अगर 5400 टूटा तो निफ्टी का अगला सहारा 5220-5280 होगा।
देश की राजनीतिक-आर्थिक स्थितियों के मद्देनजर मुझे डर लगता है कि कहीं अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में बनी चाल अगले लोकसभा चुनावों से पहले की आखिरी बड़ी तेजी न हो। इस समय कोयला घोटाले पर सीबीआई की लीपापोती वाली जाँच और सर्वोच्च न्यायालय में हुई फजीहत के बाद केंद्र सरकार अंदर से कमजोर नजर आ रही है। इस मसले पर मचने वाला राजनीतिक बवंडर सरकार के प्राण संकट में डाले रखेगा। हाल ही में वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भरोसा दिलाने की कोशिश की थी कि अगले 2-4 महीनों में कई और आर्थिक सुधार देखने को मिलेंगे। लेकिन हकीकत यह है कि अब अगले लोकसभा चुनाव तक भारतीय राजनीति का हर दिन अनिश्चितता के साये में ही गुजरेगा। पता नहीं किस दिन इस सरकार के अल्पमत में चले जाने की ब्रेकिंग न्यूज तमाम खबरिया चैनलों के पर्दे पर छा जाये। कोई इस बारे में पक्की भविष्यवाणी नहीं कर सकता।
इस राजनीतिक उथल-पुथल के बीच अगर शेयर बाजार की तस्वीर देखें तो यह बेहद जोखिम भरे क्षेत्र में है। राजनीतिक मोर्चे पर कोई भी नकारात्मक खबर इसे बुरी तरह लुढ़का सकती है। अगर राजनीतिक मोर्चे पर सब ठीक रहे और आरबीआई बाजार को निराश न करे, तो भी बाजार के लिए ऊपर बढ़त की गुंजाइश सीमित ही लगती है। इसलिए कहा जा सकता है कि फिलहाल भारतीय बाजार में जोखिम-लाभ के अनुपात का पलड़ा जोखिम की ओर ज्यादा झुका है। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 02 मई 2013)
Add comment