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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अपने करोड़ों सदस्यों को जल्द ही खुशखबरी दे सकता है। सरकार ईपीएफओ के लिए एक 'ब्याज स्थिरीकरण रिजर्व फंड' शुरू करने पर विचार कर रही है, जिसका मकसद ईपीएफओ सदस्यों को उनके पीएफ योगदान पर स्थिर ब्याज दर देना होगा। वर्तमान समय में ईपीएफओ के 6.5 करोड़ से अधिक सदस्य हैं।
सरकार चाहती है कि ईपीएफओ के सदस्यों को हर साल एक स्थिर ब्याज मिले। सरकार इसे ईपीएफओ के निवेश से होने वाली कमाई से अलग रखना चाहती है और एक नया फंड बनाने पर विचार कर रही है। जानकारी के मुताबिक, शेयर बाजार में कोई गिरावट आने पर इस फंड का पैसा इस्तेमाल करके ब्याज दर को स्थिर रखा जा सकेगा।
इससे ब्याज दर में अचानक बहुत ज्यादा कमी या बढ़ोतरी नहीं होगी। फिलहाल यह योजना शुरुआती चरण में है और इस साल के अंत तक इसे अंतिम रूप दिया जा सकता है। अगर EPFO के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज से योजना को मंजूरी मिल जाती है, तो इसे 2026-27 तक शुरू किया जा सकता है।
इस योजना पर श्रम और रोजगार मंत्रालय ने फंड शुरू करने और इसमें कितना पैसा रखने की संभावनाओं को समझने के लिए आंतरिक अध्ययन शुरू किया है। इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि बाजार में उतार-चढ़ाव से नफा-नुकसान होता रहता है। ईपीएफओ अपने सदस्यों को इससे बचाना चाहता है। इस फंड से सदस्यों को एक जैसा ब्याज मिलेगा।
जानिए साल दर साल कैसे बदला ब्याज
बता दें कि 1952-53 में ईपीएफओ की ब्याज दर 3% थी, लेकिन 1989-90 तक यह बढ़कर 12% तक पहुँच गयी। साल 2000-01 तक यही ब्याज दर रही। इसके बाद 2001-02 में यह घटकर 9.5% हो गयी। इसके बाद इसमें गिरावट जारी रही। साल 2005-06 में यह 8.5% हो गयी। हालाँकि, 2010-11 में ब्याज दर को बढ़ाकर 9.50% किया गया। लेकिन एक बार फिर, 2011-12 में यह 8.25% और 2021-22 में यह सबसे कम 8.10% तक पहुँच गयी थी।
(शेयर मंथन, 18 फरवरी 2025)
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