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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मिलने के बाद वित्तीय लेनदेन पर रोक लगा दी है। बैंक अब न तो लोन दे सकता है, न जमा स्वीकार कर सकता है और न ग्राहक इस बैंक में जमा अपना पैसा निकाल सकते हैं। दरअसल आरबीआई का कहना है कि बैंक की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। इसलिए इस तरह के सख्त कदम उठाने पड़ रहे हैं।
आरबीआई ने लगायी बैंकिंग के कामकाज पर रोक
आरबीआई ने मुंबई के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर किसी भी वित्तीय लेनदेन करने से रोक लगा दी है। हालाँकि, वेतन, किराया और बिजली के बिल जैसी कुछ जरूरी चीजों पर खर्च करने की इजाजत है। इतना ही नहीं, बैंक के ग्राहक भी अपना जमा पैसा नहीं निकाल सकते हैं।
बैंक का बोर्ड हुआ बर्खास्त
आरबीआई ने बैंक के पूरे बोर्ड को बर्खास्त कर दिया है और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व जनरल मैनेजर श्रीकांत को न्यू इंडिया कॉपरेटिव बैंक का प्रशासक बना दिया है। उनकी मदद के लिए दो सदस्य की भी नियुक्ति की गयी है। केंद्रीय बैंक ने प्रशासक के साथ एक सलाहकार समिति भी बनायी है, जिसमें एक चार्टर्ड अकाउंटेंट भी शामिल है। इस समिति का काम बैंक की वित्तीय स्थिति सुधार कर जल्द से जल्द हालात सामान्य करना होगा।
नहीं डूबेगा लोगों का पैसा
आरबीआई ने लोगों को ये भरोसा दिया है कि किसी भी जमाकर्ता का बैंक में जमा पैसा डूबेगा नहीं। उनकी जमा राशि डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन स्कीम के तहत 5 लाख रुपये तक सुरक्षित है। इस स्कीम के तहत बैंक में आपकी जमा पर 5 लाख रुपये तक का बीमा होता है। यानी अगर बैंक को कुछ होता है तो 5 लाख रुपये तक की रकम सुरक्षित है।
2019 में पीएमसी बैंक पर गिरी थी गाज
इससे पहले 2019 में पीएमसी बैंक का घोटाला सामने आया था। आरबीआई ने इसी साल सितंबर में इस बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को खत्म कर दिया और बैंक पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगा दिए थे। दरअसल पीएमसी बैंक ने जानबूझ कर खातों में हेराफेरी की थी। जैसे बैंक का एनपीए 9% लेकिन खातों में उसे सिर्फ 1% दिखाया गया था। बैंक ने बड़े अधिकारियों ने साठगाँठ करके डीएचएफएल और एचजीआईएल जैसी कंपनियों को लोन दिये थे लेकिन इन कंपनियों ने कभी लोन वापस किया ही नहीं। बैंक के लोन बुक को बढ़ाने का लिए नकली डिपॉजिट दिखाए थे। बाद में आरबीआई ने पीएमसी बैंक को स्मॉल फाइनेंस बैंक के रूप में चलाने का फैसला किया था।
(शेयर मंथन, 18 फरवरी 2025)
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