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भारतीय शेयर बाजार में चौतरफा तेजी का दौर है। यह तेजी अगले 2-3 सालों तक बनी रह सकती है।
अभी जैसी गिरावट आयी है, वैसी गिरावटों में निवेशकों को खरीदारी करनी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय निवेशक इस बात को समझते हैं कि कच्चे तेल की कीमतें गिरने से भारत को सबसे अधिक फायदा पहुँचने वाला है। ब्याज दरों में कटौती भी होने ही वाली है, जो घरेलू बाजार के लिए सकारात्मक होगी। हालाँकि अंतरराष्ट्रीय चिंताएँ, जैसे अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी, यूरोप में मंदी और रुपये के मूल्य में तेज गिरावट भारतीय शेयर बाजार के लिए नकारात्मक है।
दूसरी ओर कच्चे तेल में तीखी गिरावट और कमोडिटी की कीमतों में नरमी, 30 सालों के बाद स्थायी सरकार का बनना और उसकी ओर वास्तविक सुधारवादी कदम उठाये जाने को बाजार के लिए सकारात्मक कहा जा सकता है। सलिल शर्मा, पार्टनर, कपूर शर्मा ऐंड कंपनी (Salil Sharma, Partner, Kapoor Sharma & Co)
(शेयर मंथन, 09 जनवरी 2015)