
आरबीआई (RBI) ने शुक्रवार 07 जून को फँसे हुए ऋणों के लिए नये दिशानिर्देश जारी किये हैं।
दरअसल इससे पहले केंद्रीय बैंक की ओर से 12 फरवरी 2018 को जारी किये निर्देशों को उच्चतम न्यायालय ने एक फैसले में रद्द कर दिया था। पुराने दिशानिर्देशों में ऋण में एक दिन देरी पर भी बैंकों को उसके निपटान का काम शुरू करने को कहा गया था। मगर नये निर्दशों में ऋणदाताओं को 30 दिनों के भीतर डिफॉल्टर की पहचान करने की सुविधा दी गयी है।
आरबीआई ने दबावग्रस्त संपत्तियों के निपटान के संदर्भ में कहा है कि कर्जदाताओं को ऋण खाता देख कर यह पहचान करनी होगी कि किन खातों में डिफॉल्ट की संभावना है।
आरबीआई की नयी नियमावली के तहत सभी कर्जदाताओं (बैंकों आदि) को दबावग्रस्त संपत्तियों के निपटारे के लिए निदेशक मंडल से मंजूरी लेने वाली नीति लागू करनी होगी। बैंक डिफॉल्ट के 30 दिनों के भीतर निपटान, दिवाला और दिवालियापन संहिता प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
इसके अलावा एक बार जब किसी भी उधारकर्ता को ऋणदाता द्वारा डिफॉल्ट रूप से सूचित किया जाता है, तो वे डिफॉल्ट के दिन से 30 दिनों के भीतर उधारकर्ता खाते की समीक्षा कर सकते हैं। सभी उधारदाताओं द्वारा अंतर-लेनदार समझौते (आईसीए) पर हस्ताक्षर करना जरूरी होगा, जो बहुमत का निर्णय लेने के मानदंड सुविधा प्रदान करेगा। 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के एनपीए खातों का 180 दिनों के भीतर निबटारा करना होगा। (शेयर मंथन, 08 जून 2019)