सोयाबीन वायदा (जनवरी) की कीमतों के 3,310-3,360 रुपये के दायरे में ही बरकरार रहने की संभावना है।
सोयामील निर्यात पर प्रतिबंध को हटाने के लिए भारत और चीन के बीच बातचीत के बावजूद ऐसा लगता है कि व्यापार युद्ध का लाभ उठाने के इस अवसर में काफी विलम्ब हो गया है क्योंकि चीन फिर से अमेरिकी सोया बाजार की ओर वापसी कर रहा है। जी-20 की बैठक में अमेरिका और चीन के बीच 90 दिनों तक व्यापार को लेकर युद्ध विराम के समझौते के बाद यूएसडीए ने चीन को 1.199 मिलियन टन अमेरिकी सोयाबीन की दूसरी किस्त की बिक्री की पुष्टि की है।
सरसों वायदा (जनवरी) की शॉर्ट कवरिंग (जवाबी खरीद) पर रोक बरकरार रहने की संभावना है और कीमतों को 4,030 रुपये के स्तर पर रुकावट का सामना करना पड़ सकता है। अधिक उत्पादन क्षेत्रों और चीन से भारतीय सरसोंमील की आयात माँग में देरी के कारण कीमतों पर दबाव बना रह सकता है। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश में जनवरी से नयी फसल की आवक होने की संभावना और नाफेड द्वारा अपना स्टॉक बेचे जाने के कारण भी कीमतों में नरमी का रुझान है। नाफेड के पास वर्तमान समय में 4.52 लाख टन सरसों का स्टॉक है।
सीपीओ (दिसंबर) वायदा की कीमतों में 509-510 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ 515 रुपये तक रिकवरी दर्ज की जा सकती है। भारत और मलेशिया के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते के लागू होने से पहले आयात शुल्क में 4% की कटौती के अनुमान से घरेलू बाजार में कीमतों को मदद मिल सकती है। सीजनल रुझान के तहत वर्ष के अंत में मलेशिया में पॉम ऑयल के कम उत्पादन अनुमान के कारण भी अंतरराष्ट्रीय बाजार से कीमतों में तेजी के रुझान से भी मदद मिल रही है। (शेयर मंथन, 24 दिसंबर 2018)
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