हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों के 6,550 रुपये तक लुढ़कने की संभावना है।
दिसंबर के अंत तक नयी फसल की आवक की संभावना और मौजूदा सीजन में बेहतर मौसम के बीच अधिक उत्पादन क्षेत्रों के कारण अधिक उत्पादन अनुमान से कीमतों में नरमी का रुझान है। 26 सितंबर तक तेलंगाना में हल्दी की खेती पिछले वर्ष की समान अवधि के 44,956 हेक्टेयर की तुलना में 47,888 हेक्टेयर, प्रमुख हल्दी उत्पादक जिलों में निजामाबाद में पिछले वर्ष की समान अवधि के 12,378 हेक्टेयर की तुलना में 13,965 हेक्टेयर, वारांगल में पिछले वर्ष की समान अवधि के 4,250 हेक्टेयर की तुलना में 5,521 हेक्टेयर और आंध्र प्रदेश में हल्दी की खेती पिछले वर्ष की समान अवधि के 14,830 हेक्टेयर की तुलना में 17,914 हेक्टेयर में हुई थी।
जीरा वायदा (जनवरी) की कीमतों में नरमी का रुझान रहने की संभावना है और कीमतें 17,500-17,400 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में अनुकूल मौसम से उत्पादन क्षेत्रों में बढ़ोतरी होने की संभावना है। वर्तमान समय में ठंड के कारण गुजरात और राजस्थान के उत्पादन क्षेत्रों में मिट्टी में नमी की मात्रा बढ़ गयी है। नवीनतम आँकड़ों के अनुसार गुजरात में 90% क्षेत्रों में जीरे की बुआई हो चुकी है, जबकि राजस्थान में 110-125% क्षेत्रों में जीरे की बुआई हुई है।
धनिया वायदा (जनवरी) की कीमतों में तेजी के बाद बिकवाली दर्ज की जा सकती है और कीमतों को 6,435-6,475 रुपये के स्तर पर बाधा रह सकती है। पहले राजस्थान में बुआई कम होने की खबरें थी, लेकिन कीमतों में बढ़ोतरी के बाद किसानों ने बुआई तेज कर दी है। इस बीच अनुकूल मौसम के कारण उत्पादकता भी बढ़ सकती है। इसलिए अगले कुछ दिनों तक कीमतों में नरमी बनी रह सकती है। (शेयर मंथन, 24 दिसंबर 2018)
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