पिछले वर्ष हल्दी की कीमतों में 21% की गिरावट हुई और मसालों में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली कमोडिटी रही।
जनवरी में दर्ज वर्ष के उच्च स्तर 7,876 रुपये से हल्दी की कीमतों में एक तरफा गिरावट हुई और पीछे मुड़ कर रिकवरी करने के बजाय 5,978 रुपये के निचले स्तर पर पहुँच गयी। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र में उत्पादन में वृद्धि होने की संभावना से कीमतों में नरमी दर्ज की गयी। अनुमानों से पता चलता है कि सप्लाई काफी अधिक थी।
2017-18 (जुलाई-जून) में हल्दी की कुल आपूर्ति अनुमानतः 6.62 लाख टन थी, जिसमें 5.60 लाख टन का उत्पादन हुआ था, जबकि पिछले वर्ष का बचा हुआ स्टॉक 1.02 लाख टन था। इस अवधि 5.30 लाख टन हल्दी की खपत के बाद 1.32 लाख टन कैरी ओवर स्टॉक है। अब बाजारों में नयी फसल की आवक जुलाई के मध्य में शुरू होगी। अक्टूबर में हल्दी की बुआई होने तक प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में पर्याप्त बारिश हुई है। परिणामतः हल्दी के उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना है। इस प्रकार जल स्त्रोतों की पर्याप्त उपलब्ध्ता को देखते हुए किसान इरोद में मक्के और महाराष्ट्र में गन्ने जैसी कम लाभकारी फसल को छोड़ कर हल्दी की खेती करना पसंद किया, जिससे हल्दी के पैदावार क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई।
इस वर्ष हल्दी के किसानों के लिए खुशी की बात यह है कि मांग और आपूर्ति के आंकड़ों में असंतुलन हो सकता है। 2018-19 के लिए प्रारंभिक स्टॉक लगभग 1.32 लाख टन हो सकता है और 4.76 लाख टन के उत्पादन अनुमान के साथ कुल सप्लाई 6.08 लाख टन रहने का अनुमान है। इस वर्ष घरेलू खपत और निर्यात 5.37 लाख टन होने की संभावना है। लेकिन इस दौरान शेष बचा स्टॉक 2017-18 के 1.32 लाख टन की तुलना में केवल 0.71 लाख टन ही रह सकता है।
भारी आवक और बिकवाली के दबाव के कारण कीमतों में गिरावट का रुझान अगस्त के अंत तक जारी रहेगा और कारोबारी काफी सावधनी से कारोबार कर सकते हैं, क्योंकि इसी समय बुआई भी शुरू होगी। इसलिए इस अवधि का इस्तेमाल सपोर्ट स्तर के नजदीक निचले स्तर पर खरीदारी का लाभ उठाते हुए लंबी अवधि की पोजिशन के लिए किया जा सकता है।
पिछले वर्ष के रिकॉर्ड से पता चलता है कि प्रत्येक वर्ष अगस्त महीने में हल्दी की कीमतें वर्ष के निचले स्तर पर पहुँच जाती हैं और इसके बाद त्योहारों और जाड़े के मौसम के दौरान कीमतों में तेजी आने लगती है। 2019 में हल्दी की कीमतें एनसीडीईएक्स में 5,800-8,000 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में रह सकती हैं। (शेयर मंथन, 11 जनवरी 2019)
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