सोयाबीन वायदा (अगस्त) की कीमतों को 3,570 रुपये के नजदीक सहारा बरकरार रहने की संभावना है, जबकि निचले स्तर पर खरीदारी के साथ शॉर्ट कवरिंग (जवाबी खरीद) के कारण कीमतों में 3,635-3,650 रुपये तक बढ़त दर्ज की जा सकती है।
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में इस तिलहन की उत्पादकता कम होने की आशंका है। महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा में सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में अभी बुआई शुरू नहीं हो सकी है, जिसमें पहले से ही 5-6 सप्ताह की देरी हो चुकी है।
सरसों वायदा (अगस्त) की कीमतों में 3,920 रुपये के स्तर पर सहारे के साथ 3,950 रुपये तक बढ़त दर्ज किये जाने की उम्मीद है। हाजिर बाजारों में आवक धीरे-धीरे कम हो रही है और दूसरी ओर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आपूर्ति में कमी को देखते हुए, तेल मिलों और सरसों मील निर्यातकों की ओर से माँग में तेजी आ सकती है।
सोया तेल वायदा (अगस्त) की कीमतें 745 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है, जबकि सीपीओ वायदा (अगस्त) की कीमतें यदि 520 रुपये के अड़चन स्तर को पार करती है तो 530 रुपये तक बढ़त दर्ज की जा सकती है। हाल ही में यह बताया गया है कि कृषि मंत्रालय ने सस्ते खाद्य तेल के आयात को प्रोत्साहित करने और घरेलू तिलहन किसानों को समर्थन देने के लिए आयातित खाद्य तेलों पर उपकर का प्रस्ताव किया है।
कृषि मंत्रालय ने देश में सस्ते तेल की भारी आवक पर रोक लगाने के लिए सभी खाद्य तेलों के आयात पर एक उपकर लगाने का प्रस्ताव किया है, जिसमें उपकर की मात्रा अभी तय नहीं की गयी है।
सरकार पहले से ही घरेलू बाजार में सस्ते आयात को रोकने के लिए खाद्य तेलों पर 40% और 54% के बीच आयात शुल्क लगाया है। अधिक सीमा शुल्क के बावजूद, वैश्विक कीमतों में तेज गिरावट के कारण कच्चे पाम तेल का आयात बढ़ रहा है, जिससे घरेलू रिफाइनिंग उद्योग को नुकसान पहुँचा है। (शेयर मंथन, 29 जुलाई 2019)
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