कॉटन वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में 17,600-17,500 रुपये तक गिरावट होने की संभावना है।
कमजोर वैश्विक बाजार रुझानों के साथ कॉटन कॉर्पाोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा नीलामी बंद किये जाने के कारण हाजिर कीमतों में गिरावट हुई है। व्यापारियों को अब सीसीआई की अगली कार्रवाई का इंतजार है। यह व्यापक रूप से माना जाता है कि निलंबन निरस्त होते ही सीसीआई कपास की दरें बढ़ा सकती है। हालांकि विक्रेता कमजोर वैश्विक बाजारों के मद्देनजर दरों को बढ़ाने की स्थिति में नहीं हैं। तूफान लॉरा के कारण संभावित फसल के नुकसान के बारे में चिंता के बीच टेक्निकल गिरावट के कारण आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतों में स्थिरता रही।
ग्वारसीड वायदा (सितम्बर) की कीमतों 4,100-4,200 रुपये के दायरे में सीमित दायरे में कारोबार कर सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (सितम्बर) की कीमतें तेजी के रुझान के साथ 6,500-6,700 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। जोधपुर में ग्वारगम स्प्लिट की कीमतों में 100 रुपये प्रति क्विंटल और ग्वारगम पाउडर की कीमतों में भी 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है। ग्वारसीड की कीमतों 50 रुपये की बढ़त के साथ 3,900-4,000 रुपये प्रति क्विंटल रही। राजस्थान और हरियाणा की अन्य मंडियों में भी ऐसा ही रुझान देखा गया। उत्पदन कम होने के अनुमान से हाजिर बाजारों में ग्वारसीड और उसके उत्पादों में तेजी का रुझान है लेकिन अभी तक अंतिम अनुमान नहीं है।
चना वायदा (सितम्बर) की कीमतों में तेजी दिख रही है और कीमतों 4,650-4,670 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है। प्रमुख हाजिर बाजारों में चना की कीमतों में 50-150 रुपये प्रति100 किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई है। मिलों द्यारा तत्काल आवश्कताओं को पूरा करने के लिए अधिक माँग के कारण कीमतों को मदद मिल रही है। सस्ती कीमतों और आसान उपलब्धता के कारण सफेद मटर प्रति बेसन प्रति दाल की माँग के बजाय चना प्रति काबुली चना की माँग अधिक हो गयी। अर्थव्यवस्था के लॉकडाउन से बाहर निकलने के साथ ही खपत बढ़ने की संभावना है और त्यौहारी सीजन की माँग के कारण भी कीमत बढ़ रही है। (शेयर मंथन, 27 अगस्त 2020)
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