हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों में हफ्ता-दर-हफ्ता गिरावट हो रही है जिससे पता चलता है कि रुझान अभी भी कमजोर है और आने वाले दिनों में नरमी के रुझान के साथ 5,710-5,810 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है।
यह कमजोरी अधिक स्टॉक के कारण है जो मौजूदा वर्ष में आवक का 50-60% अधिक मात्रा अगले वर्ष में कैरी फॉरवर्ड के रूप में होगा। इससे कीमतों की बढ़त पर रोक लगी रह सकती है। कोविड-19 के कारण शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाने वाले के रूप में हल्दी की खपत को लेकर उम्मीदें बढ़ी, लेकिन यह लंबे समय तक नहीं रही। माँग में गिरावट का एक अन्य कारण आवक की खराब गुणवत्ता है। इसलिए, इरोड में कई व्यापारियों ने आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के बाजारों से हल्दी खरीदना शुरू कर दिया क्योंकि वहाँ कीमतें कम थीं। 2% माल ढुलाई के बावजूद, उन्होंने लागत पर 5% की बचत हो रही है।
जीरा वायदा (अप्रैल) की कीमतें नरमी के रुझान के साथ 12,850-12,750 रुपये तक गिरावट दर्ज कर सकती है, और कीमतों को 13,100 रुपये के पास रुकावट का सामना करना पड़ रहा है। पर्याप्त कैरीओवर स्टॉक के बीच निर्यात माँग में कमी के कारण कीमतों में गिरावट होने की संभावना है। घरेलू स्टॉकिस्टों की ओर से भी माँग कम हो गयी है क्योंकि बाजार में नयी फसलों की आवक का इंतजार है। इस बीच, इस वर्ष अधिक बुवाई की संभावनाओं ने कीमतों को और कमजोर कर दिया है। 2020-21 सीजन में 21 दिसम्बर तक गुजरात में जीरा की कुल बुआई 4,60,899 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले वर्ष समान अवधि में 4,16,639 हेक्टेयर और राज्य में तीन साल के औसत 4,06,141 हेक्टेयर से भी अधिक है।
धनिया वायदा (जनवरी) की कीमतें नरमी के रुझान के साथ 5,800-5,920 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती हैं। राजस्थान की रामगंज मंडी में धनिया की नयी फसल की आवक देखी जाने लगी है और 7,101 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेची जा रही है। नयी फसल की आवक फरवरी में बढ़ेगी। (शेयर मंथन, 28 दिसंबर 2020)
Add comment