हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों में पिछले सप्ताह गिरावट के बाद फिर से बढ़त देखी गयी है।
अब की कीमतों के 9,540 रुपये पर सहारा के साथ 10,500 रुपये की बढ़ने की संभावना है। देश के कम उत्पादन अनुमान और अधिक माँग की संभावना के कारण कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 46% अधिक हैं। हल्दी फसल की कटाई शुरू होने के साथ, दक्षिण भारत के विनियमित बाजारों में नयी हल्दी का आवक शुरू हो गयी है। बाजार के सूत्रों के अनुसार, आवक में ज्यादातर नयी फसल शामिल है जिसमें नमी की मात्रा के कारण गुणवत्ता अच्छी नहीं है और आवक की गुणवत्ता में सुधार होने तक हल्दी की माँग कम रहने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 8 महीनों (अप्रैल-नवंबर) में पिछले साल मुकाबले 22% घटकर 1,02,126 टन निर्यात हुआ है लेकिन 5 साल के औसत तुलना में 7.2% अधिक है।
जीरा वायदा (मार्च) की कीमतें लगातार 5वें हफ्ते बढ़त के साथ 3 साल के उच्च स्तर पर बंद हुई हैं। गुजरात और राजस्थान राज्यों में अत्यधिक ओस के कारण फसल के नुकसान की खबरों पर कीमतों के 21,000 रुपये के स्तर तक कारोबार करने की संभावना है। ऊंझा बाजार में नयी आवक कम मात्रा में हुई है और आने वाले दिनों में नयी आवक बढ़ने की उम्मीद है। ऊंझा के हाजिर बाजार में करीब 9,000-10,000 रुपये बोरी और राजकोट के बाजार में 1,000-1,200 बोरी आवक हुई। लेकिन उच्च कीमत के कारण निर्यात माँग थोड़ा कम है। बुआई क्षेत्र में गिरावट और घरेलू माँग में सुधार की खबरों के कारण वर्तमान में कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 46% अधिक है। 2021-22 में गुजरात में जीरा का रकबा केवल 3.07 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल समान अवधि में 4.69 लाख हेक्टेयर था और दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार अप्रैल-नवंबर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 20% घटकर 1.61 लाख टन रह गया है, जो पिछले वर्ष 2.02 लाख टन हुआ था।
हाजिर बाजारों में अच्छी माँग को देखते हुये धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतों में पिछले सप्ताह तेजी रही। हम उम्मीद करते हैं कि कीमतें यदि 9,980 रुपये के सहारा के साथ 10,550 रुपये के स्तर पर को पार करती है तो 11,000 रुपये की नयी ऊँचाई पर पहुँच सकती है। ऐसी खबरें हैं कि प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण उत्पादन प्रभावित हो सकता है और साथ ही बुआई में भी 10%-15% की कमी हो सकती है क्योंकि किसान तिलहन और दलहन की खेती की ओर स्थानांतरित हो गये हैं। राजस्थान और मध्य प्रदेश में धनिया की कटौती शुरू होने वाली है, जहाँ मौसम गीला रहने का अनुमान है फसल के उत्पादन और गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। सामान्य की तुलना में कम रकबे के कारण वर्तमान में कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 58.3% अधिक और जनवरी 2022 में 13.4% अधिक हैं जबकि उच्च कीमतों के कारण निर्यात सामान्य है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-नवंबर की अवधि के दौरान निर्यात पिछले साल के 37,765 टन से 13% घटकर 32,900 टन हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 10% अधिक है। (शेयर मंथन, 07 फरवरी 2022)
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