राजेश रपरिया
अचानक चाँदी की तेजी ने सोने में आयी तेजी को भी फीका कर दिया है।
भारतीय बाजार में आज चाँदी के भाव 45,200 रुपये प्रति किलोग्राम तक देखे गये। कल चाँदी का बंद भाव 43,296 रुपये था। यूनाइटेड किंगडम के यूरोपीय संघ छोड़ने के फैसले से सोने और चाँदी के भाव तेजी से बढ़े हैं। अमेरिका में भी 30 जून को चाँदी के भाव 18.55 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुए जो पिछले 21 महीनों का उच्चतम भाव है। अमेरिका में पिछले कुछ महीनों से चाँदी की खरीद में तेज उछाल आयी है।
बाजार विशेषज्ञ चाँदी में इस साल आयी तेजी के लिए तीन विशेष कारण मान रहे हैं - शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव की प्रवृति, चीन में धीमी विकास दर और ब्याज दर को लेकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व का नरम रवैया। ब्रेक्सिट के बाद ऐसी धारणा प्रबल हुई है कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में फिलहाल कोई बढ़ोतरी नहीं करेगा।
इस साल चाँदी के उत्पादन में भी कमी का अंदेशा है और यह 2.4% गिर सकता है। औद्योगिक माँग के कारण भी चाँदी में तेजी रहेगी। सौर ऊर्जा के पैनल में चाँदी का इस्तेमाल होता है। हर पैनल में न्यूनतम 20 ग्राम चाँदी की खपत होती है। अकेले अमेरिका में इस इस्तेमाल के लिए इस साल के अंत तक 7 करोड़ औंस की माँग बढ़ने का आकलन है। भारत में भी सौर ऊर्जा उत्पादन को मोदी सरकार ने उच्च प्राथमिकता दे रखी है। अमेरिका की कंपनियाँ भारत में बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा में निवेश कर रही हैं।
अमेरिका में यूएस मिंट सिल्वर ईगल 1 - औंस की माँग में भारी उछाल आयी है। मई के महीने में ऐसे 45 लाख सिक्कों की बिक्री हुई है, जो इस महीने में पिछले 30 साल का सर्वोच्च स्तर है। जनवरी से मई 2016 तक अमेरिका में 2.40 करोड़ ऐसे सिक्कों की बिक्री हुई है, जो पिछले साल की समान अवधि से 38% ज्यादा है।
बढ़ती राजनीतिक अनिश्चितता और वित्तीय अस्थिरता को देखते हुए यह अनुमान है कि इस साल चाँदी की कीमत 20 डॉलर प्रति औंस तक पहुँच जायेगी। कुछ कारोबारी विशेषज्ञों का अनुमान तो 40 डॉलर प्रति औंस का भी है।
गौरतलब है कि 1979 में चाँदी के भाव हंट ब्रदर्स की भारी जमाखोरी के कारण अमेरिका में 6 डॉलर प्रति औंस से उछल कर 49.45 डॉलर प्रति औंस तक चले गये थे। दोबारा ऐसी तेजी 2011 में देखी गयी, जब चाँदी के भाव 49.21 डॉलर प्रति औंस तक गये। तब भारत में चाँदी के भाव 75,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुँच गये थे। 2011 में अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी की चाय पर चर्चा मुहिम इस तेजी का प्रमुख कारण थी, क्योंकि इस मुहिम में अमेरिकी कर्ज की अधिकतम सीमा तय करने की वकालत की जा रही थी। (शेयर मंथन, 01 जुलाई 2016)