भारतीय म्यूचुअल फंडों ने खास कर विदेशी शेयरों में निवेश करने वाली काफी योजनाएँ प्रस्तुत की हैं।
कई इक्विटी फंड भारतीय शेयरों में निवेश के साथ-साथ विदेशी शेयरों में भी अच्छे-खासे निवेश का तड़का लगा रहे हैं। निवेशकों को विदेशी इक्विटी का यह तड़का पसंद भी आ रहा है, क्योंकि ऐसे फंडों का प्रदर्शन हाल में बेहतर रहा है। पर ऐसे फंडों की जगह एक आम निवेशक के पोर्टफोलिओ में किस सीमा तक होनी चाहिए? क्या विदेशी निवेश का मतलब हमेशा भारतीय इक्विटी से बेहतर प्रतिफल के रूप में ही दिखेगा? देखें इस बारे में माई वेल्थ ग्रोथ के संस्थापक हर्षद चेतनवाला से निवेश मंथन के संपादक राजीव रंजन झा की यह बातचीत।
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(शेयर मंथन, 05 जुलाई 2021)