
लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्सनल लोन लेते हैं और ईएमआई के तौर पर धीरे-धीरे लोन की रकम चुकाते हैं। आमतौर पर पर्सनल लोन मिलना आसान माना जाता है। इस महँगाई के जमाने में लोगों को लोन की जरूरत पड़ ही जाती है। लेकिन लोन लेने वाले चाहते हैं कि जल्दी उनका लोन चुकता हो जाये। अगर आप समय से पहले लोन चुकाने जाते हैं, तो आपको प्री-क्लोजर का सामना करना पड़ता है, जिसके फायदे और नुकसान दोनों हैं।
पर्सनल लोन का प्री-क्लोजर उस वक्त बेहतर माना जाता है, जब इसके लिए आपके पास अच्छा खासा फंड हो। प्री-क्लोजर करने से आपकी ब्याज दर कम हो जाती है। चूँकि, जितना लंबा लोन की अवधि होगी, ब्याज उतना ही अधिक होगा। ऐसे में प्री-क्लोजर से आपका क्रेडिट स्कोर भी अच्छा होता है और भविष्य में आपको लोन मिलने में आसानी होती है।
क्या हैं फायदे?
अगर आप लोन पर प्री-क्लोजर का विकल्प चुनते हैं तो, इस पर लगने वाली ब्याज दर कम हो जाती है। आप लोन समय से पहले चुकाते हैं, तो इससे क्रेडिट स्कोर में इजाफा हो जाता है। इससे आपको भविष्य में आसानी से लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है। दूसरी बात है कि प्री-क्लोजर के बाद अब ईएमआई का कोई बोझ नहीं रहता और आपकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।
प्री-क्लोजर के नुकसान
प्री-क्लोजर के फायदों के साथ-साथ, इसके कुछ नुकसान भी हैं। दरअसल, कुछ बैंक और वित्तीय संस्थान प्री-क्लोजर लेने पर 2 से 6 फीसदी का शुल्क वसूलते हैं। इस वजह से ब्याज और ईएमआई खत्म होने पर मिलने वाला फायदा कम हो जाता है। वहीं, अगर आपके पास पर्याप्त फंड ना हो या ये चुकाया हुआ फंड सेविंग से निकाला गया हो, ऐसे में भविष्य में किसी आपात स्थिति में आपको फंड की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
(शेयर मंथन, 13 अप्रैल 2025)
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