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क्या आपके पोर्टफोलिओ में है कोई भस्मासुर शेयर?

राजीव रंजन झा : इस शनिवार से ही सोच रहा हूँ कि कुछ दो-चार शेयर क्यों निवेशकों-कारोबारियों को इतनी गहरी चोट पहुँचा जाते हैं कि अरसे बाद भी लोग उसी चोट को सहलाते रहते हैं।
जिसकी सुनें, वह उसी शेयर से चोट खाया हुआ! पिछले दो दिन हरियाणा और राजस्थान की मिट्टी की खुशबू के बीच गुजरे और झुंझुनू में सैंकड़ों निवेशकों की बातें सुनने और उनसे कुछ कहने का अवसर मिला। वहाँ भी यही किस्सा। पाँच साल पहले जिससे मिलता था, उसे रिलायंस पावर की चोट से पस्त पाता था। पुंज लॉयड की उठापटक रिलायंस पावर से ताजा है, लेकिन अब इतनी ताजा भी नहीं रही। फिर भी बड़ी संख्या में लोग उसमें लगे घाटे का रोना अब भी रोते हैं।
कोई एक शेयर आपको ऐसी चोट दे जाये, जिसे आप सालों तक भुला न पायें तो जाहिर है कि आपकी निवेश रणनीति में कहीं कोई चूक रह गयी। क्या निवेश रणनीति का सबसे पहला सूत्र यह नहीं है कि आप अपना जोखिम अलग-अलग शेयरों में बाँट दें? कोई एक शेयर आपके निवेश पोर्टफोलिओ में इतना भारी कैसे हो गया कि उसने आपके पूरे पोर्टफोलिओ को डुबा दिया?
एक सीधा गणित आपके सामने रखता हूँ। आपके पोर्टफोलिओ में किसी एक शेयर की हिस्सेदारी किसी भी समय 10-15% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। मान लीजिए कि आपका एक लाख रुपये का पोर्टफोलिओ था, जिसमें 15% हिस्सा किसी एक शेयर का था। अगर उसका भाव घट कर शून्य भी हो गया, तो उस शेयर के चलते आपका एक लाख रुपये के पोर्टफोलिओ में 15% का ही नुकसान हो सकता है ना?
लेकिन उस नुकसान की भरपाई किसी और शेयर में हो रहे फायदे से हो जायेगी। अगर आपके पोर्टफोलिओ में 10 शेयर हैं, तो सारे ही शेयर नुकसान देंगे या ज्यादातर शेयर फायदा देंगे? अगर आपके पोर्टफोलिओ में ज्यादातर शेयर नुकसान दे रहे हैं तो आपको समझना पड़ेगा कि आपने शेयर चुनने में गलतियाँ की हैं। या तो आपके निवेश का समय गलत था, या फिर आपने चुन-चुन कर ऐसे ही हीरे उठाये जो पत्थर निकले।
शेयर बाजार में अक्सर लोग इस सोच के साथ आते हैं कि वे पत्थर के दाम पर मिल रहे हीरे उठायेंगे, लेकिन अक्सर ठीक इसका उल्टा हो जाता है। आपको हर दिन पत्थर के दाम पर हीरा नहीं मिल सकता। जो पत्थर हीरा साबित नहीं हुआ, वह बाद में हीरा ही निकलेगा इसकी कोई गारंटी नहीं। जो हीरा साबित हो चुका है, उसे आप पत्थर के दाम पर खरीद नहीं सकते।
बात हो रही थी केवल एक शेयर से ज्यादा चोट लग जाने की। किसी शेयर में निवेश करते समय ही हमें कुछ बातें तय कर लेनी चाहिए। एक तो यह कि निवेश कितने समय के लिए है। यह भी कि निवेश पर कितना लाभ पाने का लक्ष्य है। साथ में यह भी कि भाव घटने लगे तो किस सीमा पर जाकर हमें बाजार से हार मान लेनी है। बाजार से हार मान लेने में कोई शर्म नहीं है। हमारा विश्लेषण गलत हो गया, हमारा चुनाव गलत हो गया, यह बात जितनी जल्दी मान ली जाये, उतनी ही कम चोट लगती है।
अगर 400 रुपये का कोई शेयर 350 से नीचे जाते ही आपने उसमें अपना निवेश हटा लेने का फैसला किया तो आपको केवल 50 रुपये का नुकसान होगा। लेकिन अगर आप इंतजार करते रहे तो संभव है कि आपका नुकसान बढ़ कर 100 रुपये का, या 200 रुपये का या 300 रुपये का भी हो जाये। कई शेयर तो अपने शीर्ष भाव से 90% या इससे भी ज्यादा गिर गये। ऐसे ही शेयरों पर हमने निवेश मंथन का एक खास अंक निकाला था, जिसकी आमुख कथा थी - आपके पोर्टफोलिओ के भस्मासुर। जरा हर वक्त देखते रहिए कि आपके पोर्टफोलिओ में एक या एक से ज्यादा भस्मासुर तो नहीं बैठे हैं! Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 23 सितंबर 2013)

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