राजीव रंजन झा : कल सुबह के राग बाजारी में मैंने जिक्र किया था कि बाजार में दोनों तरह की संभावनाएँ बन रही हैं और किसी एक तरफ के संकेतों पर भरोसा करना मुश्किल हो रहा है।
यह असमंजस कल निफ्टी के चार्ट पर भी साफ दिखा। सुबह एक अच्छी शुरुआत करने के बावजूद यह पिछले दिन के ऊपरी स्तर से ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाया। दिन भर में यह कितनी बार लाल से हरे और हरे से लाल निशान में गया, इसे गिनना भी मुश्किल लगता है। बेशक, इसने पिछले दिन की तुलना में एक नया ऊपरी शिखर भी बनाया और ऊपरी तलहटी भी बनायी। लेकिन खुला और बंद स्तर बेहद आसपास होने के चलते इसके चार्ट पर दोजी कैंडल बन रही है जो साफ तौर पर बाजार के अनिश्चय को दिखाती है।
ऐसे में आज बाजार का रुझान कैसा रहता है, इस पर खास नजर रखनी होगी। अगर निफ्टी कल के ऊपरी स्तर 6219 को पार कर पाया तो इस दोजी का नकारात्मक असर कट जायेगा, लेकिन अगर कहीं इसने कमजोरी दिखायी तो यह शुभ संकेत नहीं होगा।
कल के लिए मैंने जिक्र किया था कि बाजार में कमजोरी का रुझान 6170 के नीचे जाने पर बनेगा, और निफ्टी ने कल इसके पास ही दो बार सहारा लिया। बेशक, कल यह कुछ पलों के लिए इससे नीचे 6163 तक भी चला गया, जिसके नीचे जाने पर मुनाफावसूली का दबाव बढ़ेगा। हालाँकि उससे पहले 6180 के टूटने पर ही सावधान हो जाना चाहिए। लेकिन अगले दो-चार सत्रों के लिहाज से 6140 के सहारे पर ध्यान देना चाहिए। इसके टूटने पर कमजोरी आ सकती है।
वहीं मौजूदा ऊपरी चाल कायम रहने के लिए न केवल पिछले सत्र के ऊपरी स्तर 6219, बल्कि मई 2013 के शिखर 6229 को पार करके इसके ऊपर टिक पाना जरूरी होगा। अगर निफ्टी ऐसा कर सके तो इसके लिए 6280-6300 तक जाना आसान हो जायेगा, जिसकी बात मैंने शुक्रवार को भी की थी।
इन सबके बीच सेंसेक्स और निफ्टी बड़े रोमांचक ढंग से अपने ऐतिहासिक शिखरों के बेहद करीब दिख रहे हैं। निफ्टी का कल का बंद स्तर 6205 इसके जनवरी 2008 के ऐतिहासिक शिखर 6357 से केवल 152 अंक या 2.45% दूर है। वहीं सेंसेक्स तो जनवरी 2008 के शिखर 21,207 से केवल 313 अंक या 1.5% दूर 20,894 पर है।
यह बड़ा दिलचस्प है कि ऐतिहासिक शिखरों के इतने करीब होने के बावजूद बाजार में वैसा उत्साह नहीं है, जो ऐसे मुकाम पर होना चाहिए। इसका कारण सीधे-सीधे यही है कि बीते छह सालों में सेंसेक्स-निफ्टी कई बार इस ऐतिहासिक शिखर के काफी करीब आकर भी इसे पार करने में नाकाम रहे हैं। इसीलिए बाजार में लोगों के मन में इस बार भी एक अविश्वास कायम है। हालाँकि कई बार ऐसा होता है कि बाजार अविश्वास की सीढ़ी पर चढ़ कर ही नयी ऊँचाइयाँ हासिल करता है। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 22 अक्टूबर 2013)
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