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बाजार की बेहद छोटी अवधि की चाल नकारात्मक

राजीव रंजन झा : बीते हफ्ते शुक्रवार की सुबह मैंने निफ्टी (Nifty) के लिए ऊपर 6217 और नीचे 6175 के स्तरों का जिक्र किया था और न केवल शुक्रवार, बल्कि सोमवार को भी निफ्टी इन स्तरों का सम्मान करता नजर आया।
शुक्रवार को निफ्टी 6217 से बस 4 अंक ऊपर तक जा पाया और अंत में इसके नीचे ही 6211 पर बंद हुआ था। कल सोमवार को दिन का ऊपरी स्तर शुक्रवार से बस 4 अंक और ऊपर 6225 तक जा पाया और उसके बाद यह तुरंत नीचे आ गया। यही नहीं, अगर आप सोमवार के इंट्राडे चार्ट को देखें तो पता चलेगा कि 6225 का स्तर तो बाजार खुलते ही बस पहले ही मिनट में दिखा था और उसके बाद लगभग पूरे दिन निफ्टी 6200 के नीचे-नीचे ही अटका रहा।
जहाँ तक निचले स्तर की बात है, शुक्रवार को 6171 और सोमवार को 6170 की तलहटियाँ बनी हैं। दरअसल निफ्टी ने दिसंबर मध्य से 6130-6358 की जो उछाल दर्ज की, उसकी 61.8% वापसी 6217 पर है। मैंने शुक्रवार को लिखा था कि इसके नीचे अटकना खतरनाक होगा। वहीं मैंने यह भी जिक्र किया था कि इसके नीचे तात्कालिक समर्थन स्तर 80% वापसी यानी 6175 पर होगा। बीते दो सत्रों से निफ्टी इन्हीं दो स्तरों के बीच अटका है।
चूँकि इन दो सत्रों में मोटे तौर पर 6170 की तलहटियाँ बनी हैं, इसलिए यही मानना चाहिए कि 6170 कटने पर 6130 तक फिसल जाना महज एक औपचारिकता होगी। अभी असली सवाल यह है कि 6130 की पिछली तलहटी बचेगी या टूटेगी। शुक्रवार की सुबह मैंने लिखा था कि निफ्टी के लिए मोटे तौर पर 6200 के नीचे जाना कमजोरी का संकेत होगा और 6130 पर खतरे का निशान होगा। इनमें से पहली बात तो पूरी हो चुकी है। अब देखना होगा कि निफ्टी 6130 के पास जाने पर क्या करता है।
जहाँ तक आज के एकदिनी कारोबार के नजरिये से निफ्टी की चाल का सवाल है, 6205 के ऊपर जाने पर यह 6220-6230 तक जाने की तैयारी कर लेगा। लेकिन ऊपर की ओर कोई ठीक-ठाक चाल तभी बन पायेगी, जब यह इस दायरे के ऊपर निकल सके। वहीं नीचे की ओर 6185 कटने पर 6170 तक फिसलना तो बहुत स्वाभाविक होगा, लेकिन इसके नीचे जाने पर कमजोरी बढ़ेगी और 6130 पर नजर रहेगी।
फिलहाल बेहद छोटी अवधि के लिए बाजार की चाल नकारात्मक ही लग रही है और यह बात 6170 के नीचे जाते ही और पुख्ता हो जायेगी। ऊपर की ओर 6220 के बाद हर 10-15 अंक पर बाधाओं का गुच्छा बनता दिख रहा है। ताजा स्थिति के मुताबिक 6275 पार किये बिना बेहद छोटी अवधि के लिए बाजार की चाल का सुधरना मुश्किल लग रहा है। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 07 जनवरी 2014)

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