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राजीव रंजन झा
कल की खींचतान बता रही है कि बाजार अपनी अगली चाल की दिशा का फैसला नहीं कर पाया है।
पिछले 2 दिनों से निफ्टी को 6030 के ठीक ऊपर बाधा मिल रही है। लेकिन कल दिन भर की रस्साकशी से दिखता है कि बाजार इतनी आसानी से फिसलने भी नहीं जा रहा। कल अंत में थोड़ी कमजोरी रही और उससे पहले दिन के ज्यादातर हिस्से में बिकवाली का दबाव दिखा, लेकिन इसके बावजूद कल विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 915 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी ही की। यह तो हर कोई समझ रहा है कि बाजार मौजूदा उछाल एफआईआई (FII) खरीदारी की ही वजह से है। इसलिए जब तक यह खरीदारी नहीं रुकती, तब तक बाजार में कोई गहरी गिरावट कैसे आयेगी?
हालाँकि गिरावट की उम्मीद करने वालों का तर्क है कि यह खरीदारी कभी भी अचानक रुक सकती है। अभी जो खरीदारी दिख रही है, वह अचानक बिकवाली में भी बदल सकती है। यह बिल्कुल उसी तरह से है, जैसे बाजार अपने शिखर पर या तलहटी पर जाने के बाद ढोल नहीं पीटता। कुछ समय बाद ही पता चलता है कि अरे वहाँ तो शिखर था, या तलहटी तो उस जगह थी। कई बार तो शिखर या तलहटी बनने नहीं बनने की बहस तब तक चलती रहती है, जब तक वह सारा मामला इतिहास का पन्ना न बन जाये। वैसे ही यहाँ एफआईआई खरीदारी रुकेगी या नहीं, यह बात सौ फीसदी भरोसे के साथ कौन कह सकता है? मैं तो नहीं! जैसे ही 1-2 दिन उनकी बिकवाली होगी, लोग कहने लगेंगे कि मैंने कहा था ना... लेकिन 1-2 दिन की बिकवाली के बाद एफआईआई खरीदारी फिर शुरू हो गयी तो?
अभी कुछ समय तक मजेदार बातें चलती रहेंगी। पहले जरा उनकी बातें सुनें जिन्हें लगता है कि बाजार अब ज्यादा नहीं चढ़ सकता, कहीं से भी पलट सकता है। वे कहेंगे, देखना बाजार में जब पहली गिरावट आयेगी तो तेजी वाले मानेंगे कि यह बस वापस खिंचाव (पुलबैक) वाली गिरावट है और यह गिरावट खत्म होने पर बाजार फिर से चढ़ेगा, इसलिए गिरावट पर खरीदारी करो। और कुछ गिरावट के बाद बाजार फिर से थोड़ा सँभलेगा भी। तब तेजी वाले कहेंगे – देखो मैंने कहा था ना। लेकिन उसके बाद बाजार फिर से नीचे जायेगा। तब लोग कहेंगे कि फिर से खरीदारी का मौका मिला है। लेकिन जैसे ही उनकी खरीदारी हो जायेगी तो बाजार फिर से गिरेगा और तब जम कर गिरेगा।
अब उनकी सुनें, जिन्हें लगता है कि बाजार में तेजी बाकी है। अरे, ये सन्नाटा कैसा? कुछ खास सुनाई नहीं दे रहा। तो ऐसे में, सुन हृदय की बात रे मन! (शेयर मंथन, 23 सितंबर 2010)
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