कमोडिटी और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी आने से महँगाई घटी है और आगे भी कम रहने की संभावना है।
ऐसी उम्मीद है कि अगले वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ब्याज दरें घट जायेंगी। उपभोक्ता विश्वास और कारोबारी विश्वास में सुधार आया है, जिससे भविष्य में बेहतर समय आने के संकेत मिलते हैं। ऊर्जा, कृषि, श्रम बाजार, कराधान और कल्याणकारी योजनाओं के क्षेत्र में अक्षमताओं को दूर करने के लिए संरचनात्मक सुधारों को मंजूरी मिलने से भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी संभावनाओं को साकार करने की ओर आगे बढ़ेगी।
मोदी सरकार का एजेंडा विकास पर केंद्रित बना रहना चाहिए और अन्य कारणों की वजह से इसे प्रभावित नहीं होना चाहिए। यूरोप, पश्चिम एशिया और जापान की अर्थव्यवस्थाओं में आ रही अस्थिरता भारतीय बाजार के लिए एक प्रमुख चिंता है। साथ ही सरकार के कर राजस्व में धीमेपन पर भी चिंता है। राजस्व में कमी की भरपाई करने के लिए पीएसयू विनिवेश पर निर्भरता जारी है। वहीं अमेरिका में ब्याज दरों में संभावित बढ़ोतरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बनने जा रही है। दूसरी ओर थोक और खुदरा महँगाई दर आरबीआई और सरकार के अनुमानों से नीचे रही है।
एक दल की मजबूत सरकार विकास दर बढ़ाने, सुधार करने, नीतियों की रूकावटें दूर करने और कारोबार को आसान बनाने में सक्षम है। उम्मीद है कि एफआईआई भारत में निवेश जारी रखेंगे, क्योंकि साल 2014 उच्च विकास दर का चक्र दोबारा शुरू होने का प्रस्थान बिंदु बना है। निवेश और कंपनियों की आय बढ़ने की उम्मीद भी बाजार के लिए सकारात्मक पहलू है। के. के. मित्तल, सीईओ, वीनस इंडिया एसेट्स-फाइनेंस (K.K Mittal, CEO, Venus India Assets-Finance)
(शेयर मंथन, 06 जनवरी 2015)