संसद में गतिरोध पर चिंता
के.के. मित्तल, वीपी, वीनस इंडिया एसेट फाइनेंस
निजी क्षेत्र के निवेश में वृद्धि, नीतिगत सुधार, राष्ट्र निर्माण में राजनीतिक दलों की रचनात्मक हिस्सेदारी और जीएसटी, ये सभी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले कारक होंगे।
निजी क्षेत्र के निवेश में वृद्धि, नीतिगत सुधार, राष्ट्र निर्माण में राजनीतिक दलों की रचनात्मक हिस्सेदारी और जीएसटी, ये सभी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले कारक होंगे।
तेजी के मौजूदा दौर में बाजार ठहराव के बीच से गुजर रहा है और मूल्यांकन वाजिब हैं। कच्चे तेल की निम्न कीमतों से भारतीय अर्थव्यवस्था फायदे में है। घरेलू संस्थागत निवेशक बड़े स्तर पर निवेश कर रहे हैं।
लंबी अवधि का नजरिया सकारात्मक है, लेकिन लंबी अवधि की संरचना में सुधार अपेक्षित है, जिसमें निफ्टी 6,646 तक फिसल सकता है। मगर साल 2008 के शिखर 6,357 के नीचे इसे नहीं जाना चाहिए।
मौजूदा स्तरों से अगर 10' गिरावट आती है तो मैं वहाँ उन स्तरों पर सकारात्मक रहूँगा। अगले छह महीनों में सेंसेक्स 25,000 और निफ्टी 7,100 तक फिसल सकते हैं।
मेरी राय है कि अभी चुनिंदा शेयरों पर ध्यान देने का समय है। मेरा नजरिया उन कंपनियों के लिए सकारात्मक है, जिनकी आय में सुधार हो रहा है।