अजय बग्गा
कार्यकारी चेयरमैन, ओपीसी एसेट सॉल्यूशंस
साल 2017 की पहली छमाही कमजोर रहेगी, लेकिन दूसरी छमाही में स्थिति सँभलेगी क्योंकि तब विकास दर फिर से तेज होगी।
नोटबंदी, विदेशी निवेशकों की बिकवाली, कच्चे तेल और कमोडिटी भावों में तेजी और डॉलर की मजबूती इस समय मुख्य चिंताएँ हैं। दूसरी ओर सकारात्मक पहलुओं में निचले आधार (लो बेस) का असर, कम महँगाई दर और ब्याज दरों में कटौती की संभावना को गिना जा सकता है।
नोटबंदी के चलते 8 नवंबर से 30 दिसंबर के दौरान शेयर बाजार में 3% से ज्यादा गिरावट आ गयी है। वित्त वर्ष 2016-17 की तीसरी और चौथी तिमाहियों में अर्थव्यवस्था धीमी पड़ेगी, और इसके बाद 2017-18 की पहली तिमाही में यह फिर से तेज होने लगेगी। साल 2016-17 में विकास दर 6.8% रहने का अनुमान है, जबकि 2017-18 में यह 7.1% रह सकती है। अभी तीसरी तिमाही के कारोबारी नतीजों में गिरावट ही दिखेगी।
मेरा अनुमान है कि जून 2017 तक सेंसेक्स 28,000 और निफ्टी 8,700 पर होंगे। साल भर में सेंसेक्स 29,900 और निफ्टी 9,150 पर हो सकते हैं। निफ्टी के लिए इस साल का दायरा ऊपर 9,250 और नीचे 7,800 का लगता है। सेंसेक्स ईपीएस 2016-17 में 1,530 रुपये और 2017-18 में 1690 रुपये रहने का अनुमान है। इस साल बैंक, ऑटो, आईटी, धातु और सीमेंट क्षेत्र तेज रहेंगे, जबकि दवा क्षेत्र धीमा रहेगा। (शेयर मंथन, 05 जनवरी 2017)